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ज्ञानयोग


अभी झेल रहे है वे हमारे ही कृत कर्मों के फल है। यदि यह मान लिया जाय तो यह भी प्रमाणित हो जायगा कि वे फिर हमारे ही द्वारा नष्ट भी किये जा सकेगे । हमने जो कुछ सृष्ट किया है उस सभी का ध्वंस भी हमीं कर सकते है, जो कुछ दूसरों ने बनाया है उसका नाश हमसे कभी नहीं हो सकता । अतएव उठो, साहसी वनो, वीर्यवान होओ। सब उत्तरदायित्व अपने ऊपर ले लो यह याद रखो कि तुम स्वय ही अपने भाग्य के निर्माता हो। तुम जो कुछ बल या सहायता मागते हो वह तुम्हारे भीतर ही विद्यमान है। इसलिये इसी ज्ञानरूपी शक्ति के सहारे तुम बल प्राप्त करो और अपना भविष्य अपने हाथों बनाओ। 'गतस्य शोचना नास्ति'-अब समस्त भविप्प तुम्हारे सामने पड़ा हुआ है । सर्वदा तुम इस बात का स्मरण रखो कि तुम्हारी प्रत्येक चिन्ता,प्रत्येक कार्य सचित रहेगा, और यह भी याद रखो कि जैसे तुम्हारी प्रत्येक असत् चिन्ता या असत् कार्य शेरों की तरह तुम पर कूद पड़ने की चेष्टा करेगा वैसे ही सत् चिन्ताएँ एवं सत् कार्य भी हजारों देवताओं की शक्ति लेकर सर्वदा तुम्हारी रक्षा के लिये उद्यत रहेगे।