फिर कहाँ रह गया―मैं तू, मेरा तेरा, नर ईश्वर? मैं हूँ सब में मुझमे सब आनन्द परम लोकोत्तर। आनन्द परम वह हो तुम आनन्द सहित अब गाओ, हे बन्धुवर्य संन्यासी, यह तान पुनीत उठाओ―
ॐ तत् सत् ॐ