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७५::तुलसी चौरा
 

‘वे लोग इस योग्य हैं ही! मैंने तो ऐसा कुछ भी नहीं कहा, जो उनमें नहीं है।’

रवि को यह जानकर अच्छा लगा कि कमली शंकरमंगलम से या उसके माता पिता से ऊबी नहीं। फ्रेंच युवतियों का स्वाभाविक आकर्षण, अनुशासन, तहजीव निश्छल स्वभाव और समझदारी और एक तरह की खास स्मार्टनेस सब कुछ है कमली में। इन्हीं बातों की वजह से तो वह कमली के प्रति आकर्षित हुआ था। अब उसकी बातों से उसका अंदाज सही साबित हो रहा था। देर तक ये बातें करते रहे फिर सो गये।

पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से सुबह नौ बजे के पहले कोई नहीं उठा। सुबह कोहरे में लिपटी थी और ठंडक भी बढ़ गयी थी। रवि और कमली दस बजे ही उठे। काँफी पीकर बे चलने लगे तो नायडू ने रोक लिया।

‘वाह! पहाड़ आए हैं तो क्या बगैर देखे लौट जायेंगे। पास ही मैं एक झरना है। आराम से नहाया जा सकता है। फिर दस मील दूर ‘एलीफेंट वैली, है, वहाँ हाथी झुन्ड के झुन्ड आते हैं। दुरबीन से देखा जा सकता है। सब देख दाख कर दोपहर तक लौट जाना, वेगुकाका और बसंती ने भी इनका समर्थन किया! कमली की इच्छा भी झरने में स्नान करने और हाथियों के झुंड देखने की थी।

दोपहर ग्यारह के आस-पास गुनगुनाती धूप फैली। धूप निकलने के बाद ही वे झरने तक गये। नायडू रास्ते में इलायची, चाय, काँफी के बागान दिखाते हुए ले गए।

झरने में दूधिया साफ पानी छल-छल कर रहा था। कमली ने बसँती से जानना चाहा कि क्या इतनी तेजी से गिरते पानी में सिर दर्द नहीं हो जायेगा?

बसँती ने उसे बताया कि नारियल का तेल लगाकर नहाना होगा।