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तुलसी चौरा :: ६३
 
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भारतीयता, भारतीय रीति रिवाज, आचार अनुष्ठान के संबंध में जब भी उसे क्षमा माँगनी पड़ी है बसंती को लगा कमली का उत्तर तटस्थ और एक सा ही रहता है। यह अपने को इन परंपराओं के अनुरूप ढालने को तैयार है, पर यह कलई नहीं चाहती कि परंपराओं को उसके लिए छोड़ दिया जाए या उनमें कोई ढील दी जाए। दूसरों की संस्कृति को दी जाने वाली यह इज्जत कमली के निजी स्वभाव का अंश था और बसंती को उसका यह स्वभाव बहुत अच्छा लगा। उसे लगा यह गहन अध्ययन और ज्ञान का ही परिणाम हो सकता है। मन जब तक परिपक्व नहीं होता, तब तक दूसरों की भाषा, सभ्यता, संस्कृति के प्रति यह उदार दृष्टिकोण नहीं पनप सकता। 'कल्चरल ईगो' यानी कि सांस्कृतिक अहं ही तो है, कि पूरे विश्व में भाषाई, क्षेत्रीय झगड़े पनपने रहते हैं। इन झगड़ों से बचने का सर्वश्रेष्ठ तरीका यही हो सकता है कि दूसरों की सभ्यता और संस्कृति को आदर की दृष्टि से देखा जाए। कमली की यह कोमलता, यह संवेदनशीलता बसंती को अच्छी लगी। मन की परिपक्वता और गंभीरता एक सुन्दर स्त्री को और अधिक सुन्दर बना डालती है। कमली और बसंती जब नीचे आयी, दोपहर हो चुकी थी। अम्मा के लोकगीतों में या अम्मानै के खेल में नयापन कुछ नहीं था, पर कमली ने जिस उत्साह के साथ उन्हें कैश करने के लिये कैमरे और कैसेट का उपयोग किया, कुमार और पारु को भी उसमें आनंद आने लगा।

कासाक्षी ने आराम से अम्मानै खेल कर दिखाया। पहले तीन गोलियों से फिर पाँच।

मधुर स्वर में प्रचलित लोक गीत गाकर सुनाया।

'हल्की सी हँसी सजाये होठों पर सखि री,

सुन्दरी, सजी धजी, गहनों से आयी सखि री,

शिव की तपस्या भंग करने चली आयी वह सखि री,