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तुलसी चौरा :: २७
 


मरम्मत करा डाली थी। अगर बात झूठी लग रही हो, तो चलिए दिखा देता हूँ।

शर्मा जी को लेकर बेणु काका भीतर जाने लगे, पार्वती सामने पड़ गयी।

'बाऊजी, मैं घर जा रही हूँ। आप जल्दी आ जाइए।'

भूमिनाथपुरम बाले मामा जी आएँगे तो उन्हें बिठा लूँगी। पार्वती चली गयी।

'बसंती, ऊपर वाली चाबी ले आना बिटिया। तुम्हारे काकू को दिखा दें।'

बसंती ने चाबी लाकर दी। विदेश में जा वसा बेटा हर माह मोटी रकम भिजवाता तो है ही, पर साथ ही साथ वेणु काका की पुश्तैनी जायदाद भी अच्छी खासी है। सुरेश इकलौता बेटा है, इधर बसंती भी एक मात्र लड़की। बसंती का पति बम्बई स्थित प्रतिष्ठित कम्पनी में सेल्स मैनेजर है। इस कम्पनी के उत्पाद बस्तुओं की खपत मध्य पूर्व देशों में अधिक है, इसलिए अक्सर इस सिलसिले में वे इन देशों के दौरे पर रहते हैं। उनका दौरा जब महीनों तक खिंचता बसंती यहीं माता पिता के साथ रहती। विवाह के कई-साल हो गए, पर बाल बच्चे नहीं हुए। बेटे और दामाद दोनों की सुविधाओं का ख्याल करते हुए बेणु काका ने ऊपर कमरों से लगे बाथरूम बनवा दिये थे। ऊपर की मंजिल से नीचे आने के लिये दो सीढ़ियाँ थीं। एक पिछवाड़े उतरती थी, दुसरी आगे। बालकनी में कई गमले सजा दिए गये थे। शर्मा जी ने घूम कर कमरे देखे फिर बोले, 'खैर, आपकी बात और है। कभी बेटा, तो कभी दामाद आना जाना लगा ही रहता है। पर यहाँ तो एक दिन की नौटंकी के लिये सिर मुड़ाने वाली बात हो जाएगी न। आपने तो इधर इलायची वाला इस्टेट भी खरीद लिया है। लोग बाग इस सिलसिले में आपके पास आते जाते रहेंगे। यह तो आप जैसे लोगों के लिए है, जिनके यहाँ चार