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१६२ :: तुलसी चौरा
 


तरह भारतीय दर्शन के प्रोफेसर की हैसियत से वह कमली से मिला और छात्र के रूप में कमली को भारतीय संस्कृति से कितनी रुचि रही―यह सारी बातें बतायी। इसके बाद अखबार वाला कनैया, फूल वाला माली पंडारम, फलवाला बरदन―सभी ने एकमत से कमली की आस्था की तारीफ की!

एस्टेक्ट के मालिक सारंगपाणि नायडू ने अपनी गवाही में बताया कि किस तरह उसने पहली मुलाकात अष्टाक्षर मन्त्र की विशद चर्चा की। उनकी धारणा थी की क्रमली अपने व्यवहार में पूर्ण रूप से हिन्दू धर्म के प्रति समर्पित है।

प्रतिपक्ष के वकील ने रोककर पूछा, आप कहते हैं कि अष्टाक्षर मन्त्र का अर्थ आप से पूछा था। तो इससे क्या यह नहीं साबित होता कि उसे इस बारे में पहले कोई जानकारी नहीं थी।'

'ऐसा तो मैंने नहीं कहा। उसने मन्त्र की व्याख्या की और यह जानना चाहा कि मैं इस बारे में क्या जानता हूँ।' नायडू बोले। कोर्ट में हँसी फैल गयी।

कमली के भरत नाट्यम के गुरु, कर्नाट संगीत के गुरु ने भी अपनी गवाही में बताया कि उसने उन्हें गुरु का पूरा सम्मान दिया। उसके नियम अनुष्ठानों की प्रशंसा की। उनके अनुसार आम हिन्दुओं की तुलना में उसमें श्रद्धाभाव अधिक है। वह नृत्य यहाँ संगीत सिखने आती है? बाहर ही चप्पल उतार दिया करती है। हाथ पाँव धोकर पूजा घर में मत्था टेककर ही वह पाठ शुरू करती है।

अंतिम साक्ष्य इरैमुडिमणि का था। उन्होंने गीता की सौगन्ध के बजाय, आत्मा की सौगन्ध ली। प्रतिपक्ष के वकील ने ऐसे नास्तिक के साक्ष्य को बेईमानी करार दिया। पर न्यायाधीश का विचार था कि उन्हें अपनी बात कहने की स्वतन्त्रता है।