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तुलसी चौरा :: १३१
 


को बोतल, सेंट, विदेशी समान भी देता है न।

'सो ठीक है। तुमने गोष्ठी में यह क्या कह दिया? मेरी भावी बहू के रूप में उसका परिचय करवाया था क्या?'

'हाँ' कहा था। गलत कहा क्या? काहे मरे जा रहे हो। वो तो रवि ने खुद मुझसे कहा था कि सूरज भले ही पश्चिम में उगने लगे, वह इसके अलावा किसी के साथ विवाह नहीं करेगा। वह लड़की भी रवि को ही नहीं, हमारे यहाँ की सांस्कृतिक आचार व्यवहार को प्यार करती है। अन्धविश्वासों को भी मानती हैं। हमारे यहाँ गोष्ठी में हम वन्दना वगैरह तो करते नहीं। उस दिन उस लड़की ने जानते हो क्या किया?

गणेश वन्दना के बाद ही गोष्ठी की शुरुआत की था। हमारे संगठन वालों को यह अच्छा नहीं लगा होगा। पर तमिल में इतना सुन्दर भाषण दिया कि वे लोग शिकायत भूल ही गये। एकाध सोगों ने टोका था। मैंने तो कह दिया, कि उसका अपना विश्वास है। तुम्हारे यहाँ ब्राह्मणों में इतनी पढ़ी लिखी ऐसी प्रतिभा- शाली लड़की नहीं मिलेगी। उसका रंग ही नहीं स्वभाव भी सोने सा है। मुझसे तो कुछ छिपाते नहीं बनता।'

'जब बातें समय के पहले सामने आ जाएँ तो अफवाहों को जन्म देती हैं। कुछ बातें भले ही सच हों, उन्हें घटित होने में कुछ वक्त लग सकता है। पहले घट जाएँ तो गर्भपात वाली स्थिति हो जाती है।'

'ठीक है, पर गर्भवती होने की बात छिपाये नहीं छिपती न।

शर्मा हँस पड़े। इरैमुडिमणि का तर्क कठोर था। आगे विवाद नहीं घसीटा। इरैमुडिमणि ने आगे कहा, 'यहीं नहीं, विश्वेश्वर! भैय्या जी ने एक बात और कही है। एक दिन हम दोनों यहीं बैठे बातें कर रहे थे। तब मन खोलकर कई बातें कही। वह लड़की अँगूठी बदलने वाला विवाह नहीं चाहती। यहाँ की तरह शास्त्र सम्मत विवाह करना चाहती है। मैंने कहा, यह तो पागलपन है। यहाँ हम लोग चार दिन