कमली को पहले से ज्यादा समझ रहा हूँ। परसों मुझसे संस्कृत पढ़ रही थी, तो ‘वागार्थविव....’ वाले श्लोक का अर्थ समझते हुए पता है उसने क्या किया? सौन्दर्य लहरी का वह श्लोक याद दिला दिया। जैसे ज्योति स्वरूप सूर्य को दीप की आरती की जाए, जैसे चन्द्रकांतमणि से चन्द्र को अर्घ्य दिया जाए, जैसे समुद्र के ही जल से एक समुद्र को स्नान करवाया जाये उसी तरह तुम्हारे ही शब्दों से तुम्हारी ही अर्चना करता हूँ।’ मैं तो चकित रह गया। मैं गुरु हूँ या वह, मेरी समझ में नहीं आया।
मैंने तो वागर्थ की तरह एक दूसरे से जुड़े हुए शिव और पार्वती की वंदना का श्लोक उसे समझाया था। तब से वह हर श्लोक के साथ इसे जोड़कर देखने लगी है वे तुलनात्मक अध्ययन तो पश्चिम का एक प्रमुख उपकरण है।
‘उसका चिन्तन बहुत गहन है, रवि।’
रवि का मन खुशी से भर गया।
उसी सप्ताह के अंत में, बाऊ से अनुमति लेकर, कमली को चार दिनों वाले विवाहोत्सवों में ले गया। होम, औपासना, काशी यात्रा, झूला, अंरुधती दर्शन, सप्तपदी, कमली एक-एक अंश को कैमरे में कैद कर रही थी। रवि एक-एक का अर्थ समझा रहा था। विवाह के गीतों को उसने कैसेट में रिकार्ड किया। उसे यह पारंपरिक विवाह बहुत अच्छा लगा।
कमली ने विवाह में बहुत रुचि ली। पांचवे दिन लौटी तो उसने एक विचित्र अनुरोध सामने रखा।
‘तुम विदेशी हो। लोग समझते हैं कि तुम मजे के लिए यह सब करती हो। हमारे यहाँ विवाहित महिलाएँ ही लांग वाली धोती पहनती हैं।’ रवि ने कहा! कमली ने ऐसे ही वक्त में अपनी इच्छा जाहिर की।