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आपेक्षिकता से पूर्व की भौतिकी
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यदि हम उपरोक्त समीकरण में (2अ) से मान रखें और बाद में समीकरण (1) से तुलना करने पर हम देखते हैं कि , का एकघातीय फलन होना चाहिए। अतः
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(3)
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या
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(3अ)
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रखते हैं तब समीकरण (2) और (2अ) की तुल्यता को इस तरह लिखा जा सकता है
अतः यह इसका अनुसरण करता है कि नियतांक होना चाहिए। यदि हम समीकरण (2आ) और (3अ) में रखते हैं तब
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(4)
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प्राप्त करते हैं जहाँ के लिए , अथवा के लिए हो। समीकरण (4) की शर्तों को लाम्बिकता की शर्त कहते हैं और रूपांतरण (3) और (4) एकघातीय लाम्बिक रूपांतरण हैं। यदि हम प्रत्येक निर्देश तंत्र में लम्बाई के वर्ग को के बराबर लिखते हैं और यदि हम हमेशा समान इकाई पैमाने से मापन करते हैं तब का मान 1 होना चाहिए। अतएव रैखीय लाम्बिक रुपांतरण केवल वो होंगे जिनमें दिक्काश में एक कार्तीय निर्देश तंत्र से दूसरे में समान रूप से जाया जा सकता है। हम देखते हैं