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आपेक्षिकता का अर्थ

हमें एक रेखा प्राप्त होती है जो यूक्लिडीय ज्यामिति में एक सरल रेखा के गुणधर्म रखती है। विशेष रूप से यह इस प्रकार है कि अन्तराल को एक सरल रेखा पर बार रखने पर हमें लम्बाई का अन्तराल प्राप्त होता है। अतएव इकाई मापक छड़ से किसी सरल रेखा के अनुदिश मापन का परिणाम यह लम्बाई है। इसकी सार्थकता किसी सरल रेखा के बिन्दुओं की तरह निर्देशांको के निकाय से स्वतंत्र होने से है जैसा हम अगली कड़ी में देखेंगे।

अब हम उन विचारों की शृंखला की बात करते हैं जो विशिष्ट और सामान्य आपेक्षिकता सिद्धान्तों में एकसमान भूमिका निभाते हैं। हम प्रश्न पूछते हैं: हमने जिन कार्तीय निर्देश तंत्रों का उपयोग किया हैं क्या उनके अतिरिक्त अन्य कोई तुल्य निर्देश-तंत्र है? एक अन्तराल का भौतिक अर्थ है जो निर्देश तंत्र के चयन से स्वतंत्र है; और हम दिक्-निर्देश तंत्र में किसी स्वैच्छिक बिन्दू से निश्चित नियत अन्तराल पर स्थित बिन्दुओं के बिन्दुपथ (locus) के रूप में हमें गोलाकार पृष्ठ प्राप्त होता है। यदि तथा ( का मान 1 से 3 तक) हमारे दिक्-निर्देश के कार्तीय निर्देशांक हैं तब गोलाकार पृष्ठ को हमारे दोनों निर्देश तंत्रों में निम्नलिखित समीकरणों के रूप में लिखा जा सकता है (यहाँ const. को नियतांक पढ़ सकते हैं)

(2)

(2अ)

निर्देशांक को के पदों में कैसे लिखा जाये कि समीकरण (2) और (2अ) एक दूसरे के तुल्य हों? को के फलन के रूप में लिखने के लिए हम लघु मानों के टेलर प्रमेय (Taylor's theorem) में लिख सकते हैं,