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२२ पवित्र आत्मा। अन्न नीर दाता प्रतिपालक धन्य दयायुत भूपा करहु सकल जग तिहि परसंसा धाभ सुर शब्द उठाई आश्रित गान बिशेपित टेरो मनही मन हरखाई। पवित्र आत्मा । 96 उनासीवां गीत । S. M. 9 दुआत मरी सुन रूहएकुदस से पाक उसताद और हर एक कैद की बेड़ी से तू मुझे कर आजाद ॥ और अगर ऐसा हो कि कोई बद दस्तर मैं अपने दिल में पालता हूं कर उस को मुझ से दूर ॥ और मेरे सारे अंग ही तेरे समबेदार मेरी आंख जुबान और. हर अंग का हो मुखतार ॥ कान