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८१ सुसमाचार । को तुमरे सम अधम उधारन किन के अस प्रभुताई जय जनरंजन जय दुखभंजन जय खलगंजन सांई लोक सुहावन शाक नसावन युग युग तार दुहाई त्राहि त्राहि नर नारी टेरे जान अधम हरखाईम भैरो ७८ अठहत्तरवां गीत । जय जय परमदयामय स्वामी सुमरन गान करोरे बिजली पवन मेघ वश जाका और सिन्धु हिलकोरे दिन दिन नर तमु प्रेम सराहा सांझ पहर अरु भोरे भक्त समाज निरन्तर ताको भजा सहित अनुराग ईश्वर गुण अहलादित गावा प्रेम ईश्वर कृत तन जीव हमारा अदभुत करम अनपा सुखद रस पागे