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सुसमाचार । रफतार को बेर हुई जिमि हाट उसारी रंग भूमि नर पाए का खेल पसारो एक हि छन नाच लिये फिर जाहि किनारा मुसाफ़िर के नाई निज राह सिधारो में लट जग चार चवारी किसी को न दिल दीजे दिल जान विचारो एक हि दिलदार है प्रभु यीशु तुम्हारो॥ पल धन ७७ सतहत्तरवां गीत । ठुमरी जय परमेश्वर प्रेरित पावत सोहत प्रभु सुखदाई जय जय दाउद बंश उजागर शांति जगत जिन लाई जगत भुन्याला जय शुभशाला प्रगटे निज पुर आई