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सुसमाचार । और करो मत मार परेखन छनिक भये यहि खासा जी केते पतितन तुम तारयो प्रभु जानहु तेरो दासा जी । ७२ बहत्तरवां गीत । हे मेरे प्रभु मो पापी उद्यारियो छोड़ो न कभ न मोहे बिडारियो प्रभु मैं पायी यह निश्चय आप जानियो हाय कैसो सन्तापी मो दुखी पहचानियो है कृपा निकेतु मो पापी लखियो और तारन के हेतु महि चरन रखियो में प्रति अशुद्ध अशुद्धकू शुद्ध करियो मैं अति निर्बुद्धि निर्बुडकू बुद्धि भरियो