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सुसमाचार। १७ देस बिदेस हो तेरी परजा देवपूजा त मिटा प्रभु ईसा अपना राजत जलद दिखला॥ १ ६३ तिरसठवां गीत । 8, 8, 8, 63. खुदाया मिहरबानी कर राह अपनी मुझ पर जाहिर कर गुनाह से मुझे ताहिर कर नापाकियों से धो तकसीर मैं अपनी जानता हूं और दिल नापाक है मानता हूं बखूबी यह पहचानता हूं कर माफ़ मुझ आजिज़ को । २ सचाई दिल में ऐ खुदा त चाहता है हां सरता पा मेरा हाल नजासत का मैं बिलकुल हूं नापाक खुदाया मुझे तू धो डाल और मुझे हरागज़ न निकाल मुझ गुनहगार को संभाल न मुझे कर हलाक ॥