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४२ प्रभु यम खोष्ट । बात कहत अरधांगि उठायो मिरतक बहुत जिलाई कोलिन को प्रभु चंगा कीन्हा बधिरन दीन्ह सुनाई पांच सहस को पांचहि रोटी टूकन ढेर उठाई एक समय प्रभु नाका बैठयो चलत बयार सवाई चेले सब घवरावत बोले प्रभुजी लेहु बचाई ठाढ़े दो प्रभु हाँक पुकारी सब दुख दोन्ह भगाई ऐसे काम प्रभु अगिनित कोन्हा जग में नाम चलाई। 8१ एकतालीसवां गीत । भजन पातक दंड छुड़ावन योशू क्रश उठायो अति दुःखदाई परबत नाई अघ मम भारी अपना तन पर लोन्ह उठाई भोझ लिये प्रभु अंग पसीना रुधिर समाना टपकत जाई