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8 प्रभु यम खीष्ट। ३ मृत्यु नदी तीर जो आऊं भय और खटका सब मिटा काल पाताल के हे जीतवैया मेरा बेड़ा पार लगा तेरी स्तुति तब मैं सदा करूंगा। ३३ तैंतीसवां गीत। C. M. १ हे प्रभु मुझे त सिखला ठोक प्रार्थना करने को है और सामर्थी सहायक मेरा हो। दयालत त मेरे पाप सब क्षिमा कर दे मुझे धर्म का ज्ञान और मेरे मन को शक्ति दे कि उस पर करे ध्यान ॥ ३ जब मुझे होवे सोग और रोग तब मेरा कर उपकार और अन्त में अपनी कृपा से तू मुझे पार उतार ॥