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परमेश्वर की स्तुति । १३ २ १३ तेरहवां गीत । C.M. १ इम्मानुएलके लोह से एक साता भरा है जब उसमें डूबते पानी लोग रंग पापका कटता वह डाकू ऋशपर उसे देख आनन्दित हुआ तब हम वैसे दोपी उसीमें पाप अपना धोवें सब। ३ ईश्वरको मंडली सदाकाल सब पापसे वच न जाय तवतक उस अन्मोल रक्तका गुण न कभी होगा क्षय ॥ मैं जबसे तेरे बहते घाव विश्वाससे देखता हूं मोक्षदाई प्रेमको गा रहा और गाऊंगा मरनेले ॥ और जब याद लड़बड़ाती जीभ कबरमें चुप तब तेरो स्तुति करूंगा और मीठे रागोंसे॥ 8