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१२ परमेश्वर की स्तुति । १२ बारहवां गीत। पापिन का हितकारी मसीहाजी ॥ बड़त जगको देखि दयाला सरग सिंहासन त्याग पायिन कारन प्रान दया निज अस परित अनुरागे जय जय करत गोर से उठयो दोखिन न्योत पसारी सकल लोग चौदिशसे धावा खीष्ट रुधिर गुणकारी हरखित हो अावा सव प्यारो खोष्ट नाम गहि लीजे सव तन मनके क्लेश विसारे अमरित रस तब पीजे खोष्ट नाम बहु विध मुखदाई राह्मो जिन सो पायो घातक एक ऋशपर टेखो सरराधाम सो धायो मोर निवेदन सुनिये प्रभुजी तिहि तुल मोको कीजे मैं गुन हीन अधीन मसीहजी तारि माहि तो लीजे।