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१६६ भजन । . श्रार अब निकट तोर यीशु बिदित तोहि नाम कौन पास दास जाय युक्त जारि पानि एक बेर मोहि और लीजिये उवारि मोहि जान अधम सोस नाय मोर ओर हेरो॥ स्वामी तुम मेरो । कोह कौन करो। अनुसापित टेरों। करन अपन फेरी ॥ कठिन काल घेरो । पड़त चरन तेरा। . . . . १६० एक सौ साठवां गीत। पूर्वी . 1 . . हो प्रभु अव करहु पार बुढ़त नाव मेरो काम लहर उठत तुन्द क्रोध पवन जोरे लोभ भार घुमत ठौर . मोह सघन घोरे ॥ तनुक नाव माटि भाव सहज गलत सारे। काल मगर दोरे ॥ योशु नाम जगत ख्यात लोक जपत जारे। ताहि पक्ष निमित मोर ट्रवहु नैन खारे । केते तुम तारि लियो देरि मोहि ओरे। सुमरि तोहि अधमजान प्रान दोन्ह कोरे माझ घार झपट घरत . .