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परमेश्वर की स्तुति। आसी को अर्ज तुझ से है तू सुन ले ऐ ग़नी अपने फ़ज़ल के गंज से तू कर मुझे धनी । ७ सातवां गीत। ख्रीष्ट महाप्रभु निज प्रभुता को कत कत भांत दिखाई हो जग डूबत निज दास बचावन नौका झट बनवाई हो नह सुजन को तब निस्तायो इप्टन ते अलगाई हा निबुखद निसर भयो अति कोपी सन्तन अगिन फिकाई हो अगिन मध्य तिन संग फिरे प्रभु बाल्तु नहिं मुरझाई हो दनियल पर खल जन रिसियाने सिंहन मांद पहुंचाई हो सिंह मुख का प्रभु रोक्यो तबही सेवक लोन्ह छुड़ाई है। मोहि अधीन के खीष्ट भरोसा जेहि प्रभुता अधिकाई हो मेरी बार देर जान कीजे दीजे दोष दुराई है।