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११४ सच्चे खिष्टियान को आत्मिक गति । तू हाथ को जंग से मत उठा पर जो से लड़ा कर ॥ मत ढूंढ तू अब आराम कि यह है जंग की जा जो जंगी होगा फतहयाब ताज उस को मिलेगा। 8 तब तक ये मेरे दिल नाराम को जान हराम सरदार जब हुक्म देवेगा तब होवेगा अाराम । १०६ एक सौ छठवां गीत । १ सिपाहिओ मसीह के तुम बकतर पहिन लो जलील सैहून की राह पर तुमहारा जाना हो लशकरकश है ईसा पैरी उस के रहो वह होगा फतहमंद सना मना हल्लिलयाह सना सना हल्लिलयाह सना सना हल्लिलयाह हम होंगे फतहमंद ॥