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१०३ सच्चे खिष्टियान की आत्मिक गति । ५ फिर जब लों लोट नावे अपनी पी को सक्ति दे कि वह प्रतिव्रता रहे प्रीत न रक्खे जगत से जय लों वह बियोग में रहे तब ले उस का सत वचा हे कलीसया के ग्रानपति प्रभु ईसा जलदी श्रा॥ L.M. जा १६ छियानवेवां गीत। १त हुक्म मान खुदावन्द का जब वह वुलावे तब त जो तुझ पर भेजे सो उस के थमाए खड़ा रह ।। २ तुझे सराहे सिर झुका हिल्म से बैठावे तब ससता जब तेरी करे वह तमबीह तब कह यह खब है मसीह ॥ ३ जब जा बजा वह हिल्म के साथ बढ़ाता है नजात का हाथ वचाता गुनहगारों को से खुश ओ खुर्रम हो । तो उस