श्रीचन्द्रावली
नाटिका
काव्य, सुरस सिंगार के दोउ दल, कविता नेम। जग-जन सों कै ईस सों कहियत जेहि पर प्रेम॥ हरि उपासना,भक्ति, वैराग, रसिकता ज्ञान। सौधैं जग-जन मानि या चन्द्रावलिहि प्रमान॥
संवत् १९३३