पृष्ठ:Satya Ke Prayog - Mahatma Gandhi.pdf/४५७

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*ు अात्म्म-कथा : भाग ५ त्र्प्रौर निष्फल हुए । दो-तीन मिनट ठीक-ठीक चले त्र्प्रौर फिर बंधी-बंधाई पंक्ति टूट जाती । मजदूरोंके नेतात्र्प्रौंने खूब प्रयत्न किया, मगर वे कुछ इंतजाम नहीं कर सके । अन्तमें भीड़, शोरगुल त्र्प्रौर हमला ऐसा हुत्र्प्रा कि कितनी ही मिठाई कुचलकर बरबाद गई । मैदानमें बांटना बंद करना पड़ा त्र्प्रौर बची हुई मिठाई मुश्किल से सेठ त्र्प्रंबालाल के मिर्जापुर वाले मकानमें पहुंचाई जा सकी। यह मिठाई दूसरे दिन बंगलेके मैदानमें ही बांटनी पड़ी । इसमेंका हास्यरस स्पष्ट है । ‘एक टेक' वाले पेड़के पास मिठाई बांटी न जा सकनेके कारणोंको ढूंढ़नेपर हमने देखा कि मिठाई बंटनेकी खबर पाकर त्र्प्रहमदाबादके भिखारी वहां आ पहुंचे थे और उन्होंने कतार तोड़कर मिठाई छीनने की कोशिशें कीं । यह करुण रस था । यह देश फाके-कशीसे ऐसा पीड़ित है कि भिखारियोंकी संख्या बढ़ती ही जाती है और् वे खाने-पीनेकी चीजें प्राप्त करनेके लिए आम् मर्यादाको तोड़ डालते हैं । धनिक लोग ऐसे भिखारियोंके लिए काम ढूंढ़ देनेके बदले उन्हें भीख दे-देकर पालते हैं । २३ खेड़ामें सत्याग्रह मजदूरोंकी हड़ताल पूरी होनेके बाद मुझे दम मारनेकी भी फुरसत न मिली और् खेड़ा जिलेके सत्याग्रहका काम उठा लेना पड़ा । खेड़ा जिलेमें अकालके जैसी स्थिति होनेसे वहांके पाटीदार लगान माफ करवानेके लिए प्रयत्न कर रहे थे । इस संबंधमें श्री त्र्प्रमृतलाल ठक्करने जांच करके रिपोर्ट भेजी थी । मैंने कुछ भी पक्की सलाह देनेके पहले कमिशनर से भेंट की । श्री मोहनलाल पंड्या त्र्प्रौर श्री शंकरलाल परीख त्र्प्रथक परिश्रम कर रहे थे । स्व० गोकुलदास कहानदास परीख और् श्री विट्ठलभाई पटेलके द्वारा वे धारासभामें हलचल करा रहे थे । सरकारके पास शिष्ट मंडल गये थे । इस समय मैं गुजरात-सभाका अध्यक्श था । सभाने कमिशनर और् गवर्नरको त्र्प्रजियां दीं, तार दिये, कमिशनरके अप्मान सहन किये; उनकी धयकियां पी गई। उस समय के अफसरोंका रोबदाब त्र्प्रब तो हास्यजनक लगता है । त्र्प्रफ-