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अध्याय १२ : अंग्रेजों से परिचय । चालू ) २८५ कर लिया। मुझे उसे कभी किसी बातपर डांटना-डरटन्ना नहीं पड़ा। शायद ही कभी उसके काममें गलती निकालनी पड़ी हो । हजारों पौंडके देन-लेनका काम एकवार उसके हाथमें था और उसका हिसाब-किताब भी वही रखती थी। वह हर तरहले मेरे विश्वासकी पात्र हो गई थी। यह तो ठीक; पर मैं उसकी गुह्यतम भावनाझको जानने योग्य उसका विश्वास प्राप्त कर सका था और यह मेरे नजदीक एक बई। बात थी । अपना जीवन-साथी पसंद करनेमें उसने मेरी सलाह ली थी । कन्यादान करने का सौभाग्य भी नुज्ञीको प्राप्त हुआ था । मिस डिक जद मिसेज मैकडॉनल्ड हो गई तब उन्हें मुझसे अलग होना आवश्यक था। फिर भी, विवाहके याद भी, जब-जब जरूरत होती, मुझे उनसे सहायता मिलती थी । परंतु दफ्तर एक शोर्टहँड-राइटरकी जरूरत तो थी ही ! वह भी पूरी हो गई। उस बहनका नाम था मिस इलेशिन् । मि० कैलनबेक उसे मेरे पास लाये थे । मि० कैलनकका परिचय पाठकोंको ने मिलेगा । यह बहन आज ट्रांसदालमें क्रिसी हाईस्कूल शिक्षिकाका काम करती हैं। जब मेरे पास यह आई थी तद उसकी उम् १७ वर्षकी होगी । उसकी कितनी ही विचित्रताके आगे में और मि० कैलनबेक हार खा जाते । बह नौकरी करने नहीं आई थी । उसे तो अनुभव प्राप्त करना था। उसके गोरेशे में कहीं रंग-द्वेषका नाम न था । न उसे किसीकी परवा ही थी । वह किसी का अपमान करनेसे भी नहीं हिचकती थी । अपने मनमें जिसके संबंधों जो विचार आते हों वह कह डालने में जो संकोच ३ रखती थी । अपने इस स्वभावके कारण वह कई बार मुझे कठिनाइयों डाल देती थी; परंतु उसका हृदय शुद्ध था, इससे कठिनाइयां दूर भी हो जाती थीं । उसका अंग्रेजी ज्ञान मैंने अपनेसे हमेशा अच्छा माना था, फिर उसकी बादारीपर भी मेरा पूर्ण विश्वास था । इससे उसके टाइप किये हुए कितने ही पत्रोंपर बिना दोहराये दस्तखत कर दिया करता था । उसके त्याग-भावकी सीमा न थी। बहुत समयतक तो उसने मुझसे सिर्फ ६ पौंड महीना ही लिया और अंतमें जाकर १० पौंडसे अधिक लेनेसे साफ इन्कार कर दिया । यदि मैं कहता कि ज्यादा ले लो तो मुझे डांट देती और कहती-- मैं यहां वेतन लेने नहीं आई हूं। मुझे तो आपके अादर्श प्रिय हैं। इस कारण मैं आपके साथ रह रही हूं।