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१ १५८). सन् ११४६ ई० में बहराम ने सैफ़उद्दीन को मरवा डाला । इस घटना के कारण क़त्ल किये गये दो भाइयों से छोटा अलाउद्दीन र गज़न पर चढ़ झाया और बहरामशाह को भगाकर उसने नगर को जलाने और निवासियों को तलवार के घाट उतारने की आज्ञा दी । इस क्ररता के कारण अलाउद्दीन और का नाम जहाँ-ज़' पड़ गया और बरबाद उनी फिर न पनप सका। अलाउद्दीन और ले जाते ही बहराम ने पुनः रानी पर अधिकार कर लिया । सन् ११५७ ई० में उसकी मृत्यु के बाद उसका पुत्र खुसरोह गद्दी पर बैठा परन्तु उसके राज्यत्वकाल में घज़ ( Gh112% ) नामक तुर्क ‘जाति ने उनी को हथिया लिया । वादशाङ लाहौर भाग गया और उसके पुत्र के बाद ज़िनवी वंश का नाम लेवा पानी देवा कोई न रह गया । सन् ११७३ ई० में अलाउद्दीन और जहाँश के भतीजे गमुद्दीन ने घों ( था राज़ ) से ग़ज़नी छीनकर अपने भाई मुजुद्दीन को दे दी जिसे इतिहासकार मुहम्मद शोरी भी कहते हैं । सन् ११७४-७५ ई० में मुहम्मद गोरी ने भारतवर्ष पर आक्रमण करके खुसरो मलिक नवी से लाहौर तक का प्रदेश छीन लिया और सन् ११३२ ई० में थानेश्वर के युद्ध में दिल्ली अजमेर के राजी को पराजित कर हिमालय ले अजमेर तक का प्रदेश हस्तगत कर लिया। गयासुद्दीन के बाद मुहम्मद ग़ोरी र यौर 1ज़नी का सुलतान हो गय! ।। सन् १२०६ ई० में शौरी की हत्या हो जाने पर वारज़म के सुलतान मुहम्मद शाह ने राज़नी को अपने राज्य में मिलाकर उसका शासन प्रवन्ध अपने पुत्र जलालुद्दीन के हाथ में दे दिया ! चंगेज़ ख़ाँ ने जलालुद्दीन को सिंधु के उस पार खदेड़ दिया और अपने पुत्र अगदाई (0gdai) से राज़नी को घेरा डलवा दिया; तब से एशिया के इतिहास में ग़ज़नी को हाथ न रहा । इस पर मुग़लों का अधिकार रहा ; कभी फारस का हुलागू वंश हाबी रहा और कभी तुकिंस्तान का चशताई, वंश । इब्नबतूता (C. सन् १३३२ ई०) लिखता है कि ग़ज़नी नगर अधिकांश रखंडहर था । तैमूर कभी ग़ज़नी नहीं गया परन्तु सन् १४० १ ६० में उसने काबुल, कंधार और ग़ज़नी अपने पौत्र पीर मुहम्मद को दिये थे । सन् १५०४ ई० में तैमूर बंशी बावरने ज़िनी पर अधिकार कर लिया। बाबर ने लिखा है कि “ग्रह ( ज़िनी ) एक साधारण और निर्थन स्थान हैं । मुझे यह विचार कर आश्चर्य होता है कि यहाँ के सुलतानों ने जो हिन्दुस्तान और बुरासान के भी बादशाह थे, खुरासान के बदले इस निकृष्ट स्थान को क्यों अपनी राजधानी बनाया ? सन् १७३८ ई० में नादिरशाह के अाक्रमण तक इञ्जिनी बाबर के वंशज्ञों के हाथ रहा: फिर नादिरशाह की मृत्यु के पश्चात्