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सहि सारी दल षष्पर= शाह का रिह-वन्तर वाला दल (या सेना) । भट्टी-राजपूतों की एक जाति जो ई० सन् १५ में ग़ज़नी से आई और पंजाब में बसी तथा वहाँ से पश्चिमी राजपूताना पहुँचकर सन् ७३१ ई० में तनौट बसाया' । कुछ समय तक लोहोरवा उनकी राजधानी थी। सन् ११५७ ई० में जेसल ने अपने भतीजे भट्टी (रावल) की राज्य शोरी की सहायता से छीन लिया और नई राजधानी जैसलमेर की नींव डाली (Rajasthan, Tod. Yo3. II. pp. 219, 232, 238, 942-43)। वर्तमान रेवाट सम्यौ वाले युद्ध काल में जेसल का पुत्र सातवाहन राज्य कर रहा था और उसका भाई अन्चिलेस पृथ्वीराज का मुख्य सामंत था । भट्टी महनंग, सालवाहन का दूसरर सम्बन्धी था जिसका वर्णन प्राय: पृथ्वीराज की ओर मिलता है--[परि भट्टी सहनंग | छत्र नौ अरि सक्किय |) रासो सम्यौ ३२, छंद ७७]। इसका पिता शोरी का सामंत था। ग़ौरी के पक्ष का होने के कारण ही चंद ने ‘भट्टी महनंग' के पहिले काँ' लगा दिया है । घुरसानी<खुरासान देश का । अकबर वेबर ( शेर) । हवस (व हबसी)<अ० • और *32} अब्ब< गर्व । आलम्म<आलमसंसार । सरक्क-श्रवित होना, चुना। पटटेतिनांकनपटी (ब० ब०) ! डा० ह्योनले संभवतः पट्टेतिनां से तलवार चलाने वाले अर्थ लेकर इस पंक्ति का अर्थ इस प्रकार करते हैं-<Tin front of them are eight elephants before whose rage swordsmen give way. पंच-पंच तत्व (= क्षिति, जल, अग्नि, अाकाश और वायु) 1 पिंड शरीर । जुद्ध-(१) युद्ध (२) योद्धा । लज्जी=लज्जा । कबिच । करि तमा ३ चौ साहि, तीस तहूँ रष्षि फिरस्ते । आलम षां अलिम गुमन, षांन उजबको निरस्ते ।। लाहु मारूफ गुसरत, धांन दुस्तम वजरंगी । हिंदु सेन उप्परे, साहिं बजै रन अंगी ।। सह सेन दारि सोरा रच्यौ, साहि चिन्हाब सु उत्तरयौ ।” संभले सुर सामंत नृप, रोस बीर बीर ढुरन्यौ ।। छं० ४५। ८० ४१ ।। तमसि तमसि सामंत सब, रोस भरि प्रिथिराज । जब लगि रुपि पुडीर ने रोक्यौ गोरी साज ।। ॐ० ४६ । रू० ४२ ।। ( १ ) ए०-करत भाइ चौसाहि ; ना०–करित माय बहु साहि' । (३) fo:-अलभ पान गुमाने ।