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बारादर्घ परमार के छोटे भाई याहू दे की पुत्री पद्मावती भी अनुमान करते हैं । सो के विवाह सम्ये ६५ में अग्नि है कि तेरह वर्ष की अवस्था में नु ज ने चमंड हिम बहिन से याहू ; था । इस त्रिवाह की विस्तृत या सूद ने पिछले दिनों केदार में नहीं हैं। कैसासबध नास प्राय ५१७' में हमें पद हैं कि भान रश्नकुर र माला मंडराव में परस्पर देई वति ई : दिल्लीवेंच हुअन ] तपें इति ले प्राग बर।। बपि डेम सब सोम | बाँजि अरि मिल बन्दर ।। रयन कुमर अति तेज | हि छ पिङ्क विसंम् ।। साथ रन चाड । के कॉल किसिं झालंमं ।। मेवास बाल गंॐ द्रगम ! नेह ने बडदै अनत ।। मानुलह ने माने ज पर । भनेयमातुले सुरस !!१, और उनकी प्रति देखकर बंद पुंडीर ने पृथ्वीराज के कान भरे थे ।

  • बड़ी लड़ाई रो प्रस्ताब ६६' में पढ़ते हैं कि भुलतान Tोरी का प्रवल शुक्रिमण सुनकर और अपने पक्ष को निर्बल देखकर पृथ्वीराज ने रमनकुमार का राज्याभि चेक कर दिया था :

करिन्थ सुचित भर सब्३ } राज दिनेव द्रव्य भर ।। में मदन श्रृंगार । गज्जवर पडू नई कर !! रयन कुमार भासि । दीन माला सुत्ताहत || अक्षी दंधी निज यानि । वंदि इन कोलाहल ।। अारोहि गज कुम्भार निज । पच्छ बंद सा सिंधु किये ।। जोगिन बंदि हुयान पडू । क्रय झन मनैव इय ।। ६० . जा रयन सी नाम प्रस्ताब ६२' में पढ़ते हैं कि पृथ्वीराज को सन्दी करके शोरी द्वारा उन्हें ज़िनी ले जाने का समाचार कर३, ५ र सासंतों ने रयनसी ( रैनसी ) को राजगद्दी पर बिठा४। चंद की युक्ति ले ग़ोरी को १. सम्राट पृथ्वीराज चौहान की रानी पद्मावती, मरु-भारती, भाग १, अङ्क १, सितम्बर १६.५२ ई० ; २. छं० २, से० ५७ ; ३. छं० १-५ ; ४. छं०७-५२;