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स्वाहा कर देती। ऐसे धधकते दौर में खुद घड़सी ने राठौरों की सेना की मदद से जैसलमेर पर अधिकार किया था। इतिहास की किताबों में घड़सी का काल जय-पराजय, वैभवपराभव, मौत के घाट और समर-सागर जैसे शब्दों से भरा पड़ा है।

तब भी यह सागर बन रहा था। वर्षों की इस योजना पर काम करने के लिए घड़सी ने अपार धीरज और अपार साधन जुटाए थे और फिर इसकी सबसे बड़ी कीमत भी चुकाई। पाल बन रही थी, महारावल पाल पर खड़े होकर सारा काम देख रहे थे। राज परिवार में चल रहे भीतरी षडयंत्र ने पाल पर खड़े घड़सी पर घातक हमला किया। राजा की चिता पर रानी का सती हो जाना उस समय का चलन था। लेकिन रानी विमला सती नहीं हुई। राजा का सपना रानी ने पूरा किया।

रेत के इस सपने में दो रंग हैं। नीला रंग है पानी का और पीला रंग है तीन-चार मील के तालाब की कोई आधी गोलाई में बने घाट, मंदिरों, बुर्ज और बारादरी, बरामदों का। लेकिन यह सपना दिन में दो बार बस केवल एक रंग में रंग जाता है। ऊगते और डूबते समय सूरज घड़सीसर में मन-भर पिघला सोना उंडेल देता है। मन-भर, यानी मापतौल वाला मन नहीं, सूरज का मन भर जाए इतना।

लोगों ने भी घड़सीसर में अपनी-अपनी सामर्थ्य से सोना डाला था। तालाब राजा का था पर प्रजा उसे संवारती, सजाती चली गई। पहले दौर में बने मंदिर, घाट और जलमहल आदि का विस्तार होता गया। जिसे जब भी जो कुछ अच्छा सूझा, उसे उसने घड़सीसर में न्यौछावर कर दिया। राजा प्रजा की उस जुगलबंदी में एक अद्भुत गीत बन गया था घड़सीसर। एक समय घाट पर पाठशालाएं भी बनीं। इनमें शहर और आसपास के गांवों के छात्र आकर रहते थे और वहीं गुरू से ज्ञान पाते थे। पाल पर एक तरफ छोटी-छोटी रसोइयां और कमरे भी हैं। दरबार में, कचहरी में जिनका कोई काम अटकता, वे गांवों से आकर यहीं डेरा जमाते। नीलकठ और गिरधारी के मंदिर बने। यज्ञशाला बनी। जमालशाह पीर की चौकी बनी। सब एक घाट पर।

काम-धंधे के कारण मरुभूमि छोड़कर देश में कहीं और जा बसे परिवारों का मन भी घड़सीसर में अटका रहता। इसी क्षेत्र से मध्यप्रदेश के जबलपुर में जाकर रहने लगे सेठ गोविंददास के पुरखों ने यहां लौटकर पठसाल पर एक भव्य मंदिर बनवाया था। इस प्रसंग में यह भी याद किया जा सकता है कि तालाबों की ऐसी परंपरा से जुड़े लोग, परिवार यहां से बाहर गए तो वहां भी उन्होंने तालाब बनवाए। सेठ गोविंददास के पुरखों ने जबलपुर में भी एक सुंदर तालाब अपनी बड़ी बाखर यानी घर के सामने बनवाया था। हनुमानताल नामक इस तालाब में घड़सीसर की प्रेरणा देखी जा सकती है।