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नदी नहीं है। भूजल १२५ से २५० फुट और कहीं-कहीं तो ४०० फुट नीचे है। वर्षा मीठी तलाई अविश्वसनीय रूप से कम है, सिर्फ़ १६४० सेंटीमीटर। पिछले ७० वर्षों के अध्ययन किया के अनुसार वर्ष के ३६५ दिनों में से ३५५ दिन सूखे गिने गए हैं। यानी १२० दिन की स्वभाव वर्षा ऋतु यहाँ अपने संक्षिप्ततम रूप में केवल १० दिन के लिए आती है।"

लेकिन यह सारा हिसाब-किताब कुछ नए लोगों का है। मरुभूमि के समाज ने १० दिन की वर्षा में करोड़ों रजत बूंदों को देखा और फिर उनको एकत्र करने का काम घर-घर में, गांव-गांव में और अपने शहरों तक में किया। इस तपस्या का परिणाम सामने है:

जैसलमेर जिले में आज ५१० गांव हैं। इनमें से ५३ गांव किसी न किसी वजह से उजड़ चुके हैं। आबाद हैं ४६२। इनमें से सिर्फ़ एक गांव को छोड़ हर गांव में पीने के पानी का प्रबंध है। उजड़ चुके गांवों तक में यह प्रबंध कायम मिलता है। सरकार के आंकड़ों के अनुसार जैसलमेर के ९९.७८ प्रतिशत गांवों में तालाब, कुएँ और 'अन्य' स्रोत हैं। इनमें नल, ट्यूबवैल जैसे नए इंतजाम कम ही हैं। इस सीमांत जिले के ५१५