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जहाँ जितनी भी जगह मिल सके, वहाँ गारे-चूने से लीप कर एक ऐसा 'आंगन" बना लिया जाता है, जो थोड़ी ढाल लिए रहता है। यह ढाल एक तरफ से दूसरी तरफ भी हो सकती है और यदि' अांगन'काफी बड़ा है तो ढाल उसके सब कोनों से बीच केद्र की तरफ भी आ सकती हैं।' अगिन' के आकार के हिसाब से, उस पर बरसने वाली वर्षा के हिसाब से इस केंद्र में एक कुंड बनाया जाता है। कुंड के भीतर की चिनाई इस ढंग से की जाती है कि उसमें एकत्र होने वाले पानी की एक बूंद भी रिसे नहीं, वर्ष भर पानी सुरक्षित और साफ-सुथरा बना रहे।

जिस आंगन से कुंडी के लिए वर्षा का पानी जमा किया जाता है, वह आगोर कहलाता है। आगोर संज्ञा आगोरना क्रिया से बनी है, बटोर लेने के अर्थ में। आगोर को खूब साफ-सुथरा रखा जाता है, वर्ष भर। वर्षा से पहले तो इसकी बहुत बारीकी से सफाई होती है। जूते, चप्पल आगौर में नहीं जा सकते।

आगोर की ढाल से बह कर आने वाला पानी कुंडी के मंडल, यानी घेरे में चारों तरफ बने ओयरो यानी सुराखों से भीतर पहुंचता है। ये छेद कहीं-कहीं इंडु भी कहलाते हैं। आगोर की सफाई के बाद भी पानी के साथ आ सकने वाली रेत, पत्तियाँ रोकने के लिए ओयरो में कचरा छानने के लिए जालियाँ भी लगती हैं। बड़े आकार की कुंड्डियों में वर्ष भर पानी को ताजा बनाए रखने के लिए हवा और उजाले का प्रबंध गोख (गवाक्ष) यानी झरोखों से किया जाता है।

कुंड छोटा हो या कितना भी बड़ा, इसे अछायो यानी खुला नहीं छोड़ा जाता। अछायी कुंड अशोभनीय माना जाता है और पानी के काम में शोभा तो होनी ही चाहिए. शोभा और शुचिता, साफ सफाई यहाँ साथ-साथ मिलती हैं।

कुंड्डियों का मुंह अकसर गोलाकार बनता है इसलिए इसे ढंक कर रखने के लिए गुंबद बनाया जाता है। मंदिर, मस्जिद की तरह उठा यह गुंबद कुंडी को भव्य भी बनाता है। जहाँ पत्थर की लंबी पट्टियाँ मिलती हैं, वहाँ कुंडों को गुंबद के बदले पट्टियों से भी ढंका जाता है। गुंबद हो या पत्थर की पट्टी, उसके एक कोने में लोहे या लकड़ी का एक ढक्कन और लगता है। इसे खोल कर पानी निकाला जाता है।

कई कुंडियाँ या कुंड इतने गहरे होते हैं, तीस-चालीस हाथ गहरे कि उनमें से पानी किसी गहरे कुएँ की तरह ही निकाला जाता है। तब कुंडी की जगत भी बनती है, उस पर चढ़ने के लिए पांच-सात सीढ़ियाँ भी और फिर ढक्कन के ऊपर गड़गड़ी, चखरी भी लगती है। चुरू के कई हिस्सों में कुंड बहुत बड़े और गहरे हैं। गहराई के कारण इन पर

मजबूत चखरी लगाई जाती है और इतनी गहराई से पानी खींच कर ला रही वजनी बाल्टी