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HIN/Mj/553 प्रयोजनमूलक हिंदी क्रेडिट- 3 i. इस पत्र के अध्ययन के उपरांत विद्यार्थी : प्रयोजनमूलक हिंदी की संकल्पना और स्वरूप को समझ सकेंगे। ii. प्रयोजनमूलक हिंदी के विविध आयामों और रूपों का ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे। iii. प्रयोजनमूलक हिंदी की आवश्यकता एवं महत्त्व को समझ सकेंगे। iv. प्रयोजनमूलक हिंदी की समस्याओं से अवगत हो सकेंगे। V. vi. vii. viii. इकाई 1. इकाई 2. इकाई 3. राजभाषा, राष्ट्रभाषा और संपर्क भाषा और विश्वभाषा के रूप में हिंदी की स्थिति से परिचित हो सकेंगे। राजभाषा हिंदी की संवैधानिक स्थिति, नियम अधिनियम की जानकारी हासिल कर सकेंगे । कार्यालयी कार्य प्रणाली के विविध आयामों मेंहिंदी के प्रयोग की क्षमता विकसित कर सकेंगे। पारिभाषिक शब्दावली के स्वरूप एवं निर्माण के सिद्धांतों से परिचित हो सकेंगे। सहायक ग्रंथः प्रयोजनमूलक हिंदी की संकल्पना और उसके विविध आयाम: कार्यालयी हिंदी, जनसंचार की हिंदी, वित्त एवं वाणिज्य की हिंदी, विज्ञान, तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र की हिंदी, विज्ञापन में हिंदी राष्ट्रभाषा, संपर्क भाषा, राजभाषा, विश्वभाषा के रूप में हिंदी, हिंदी की संवैधानिक स्थिति, नियम एवं अधिनियम कार्यालयी कार्य-पद्धति के विविध आयाम: पत्र लेखन एवं उसके प्रकार, प्रारूप लेखन, प्रतिवेदन, टिप्पणी, अधिसूचना, अनुस्मारक, पृष्ठांकन, संक्षेपण, ज्ञापन, परिपत्र, पारिभाषिक शब्दावली- स्वरूप एवं महत्त्व, पारिभाषिक शब्दः निर्माण के सिद्धांत 1. प्रयोजनमूलक हिंदी: सिद्धांत और प्रयोग - दंगल झाल्टे, वाणी प्रकाशन, . दिल्ली 2. प्रयोजनमूलक हिंदी - विनोद गोदरे, वाणी प्रकाशन, दिल्ली 3. प्रयोजनमूलक हिंदी - डॉ. दिनेश प्रसाद सिंह, मोतीलाल बनारसीदास प्रकाशन, पटना 4. प्रयोजनमूलक हिंदी - विजयपाल सिंह, हिंदी बुक सेंटर, दिल्ली 5. प्रयोजनमूलक हिंदी - रवीन्द्र नाथ श्रीवास्ताव, केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा 6. राजभाषा हिंदी - कैलाश चन्द्र भाटिया, हिंदी बुक सेंटर, दिल्ली 7. प्रशासनिक हिंदी - पूरनचन्द टण्डन, पाण्डुलिपि प्रकाशन, दिल्ली 8. प्रशासनिक शब्दावली - वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, दिल्ली 9. प्रयोजनमूलक हिंदी के आधुनिक आयाम - डॉ. महेन्द्र सिंह राणा, हर्षा प्रकाशन, आगरा 10. राष्ट्रभाषा हिंदी और उसकी समस्याएँ- देवेन्द्रनाथ शर्मा, लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद मूल्यांकन पद्धतिः 1. इस पत्र का पूर्णांक 100 है, जिसमें सतत मूल्यांकन हेतु 40 अंक और सत्रांत परीक्षा हेतु 60 अंक निर्धारित हैं। 2. सतत मूल्यांकन दो चरणों में C1 एवं C 2 के आधार पर किया जाएगा। 3. इस पत्र की सत्रांत परीक्षा की अवधि 3 घंटे निर्धारित है। 4. सत्रांत परीक्षा में प्रत्येक इकाई से दो-दो आलोचनात्मक प्रश्न पूछे जाएँगे, जिनमें से एक-एक का उत्तर लिखना होगा। (3x15 = 45 अंक) 5. प्रत्येक इकाई से कम-से-कम एक-एक और कुल चार टिप्पणियाँ पूछी जाएँगी, जिनमें से दो का उत्तर लिखना होगा। (2x71⁄2=15 अंक Page 20 of 36