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६६५] [कबिर्

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फिरत कत फूल्यौ फूल्यौ। जब दस मास उरध मुखि होते, सो दिन काहे भूल्यौ॥ टेक ॥ जौ जारै तौ होई भसम तन, रह्त कृम ह्र जाई। काचै कुंभ् उघक भरि राख्यो, तिनकी कौन वडाई। ज्यू माषी मधु सचि करि, जोरि धन कीनो। मूये पीछे लेहु लेहु करि, प्रेत रहन क्यू दीनू। ज्यू घर नारी सग देखि करि, तब लग संग सुहेलौ। मरघट घाट खैचि करि राखे वह देखिहु हस अकेलौ ॥ रामं न रमहु मदन कह भूले, परत अन्धेरे कूवा। कहै कबीर सोई आप बधाधौ, ज्यु नलनी का सुवा॥

शब्दार्थ- उरध मुख = उपर को मुख किए हुए अर्थात् उलटा मुख किए हुए। गण= मक्खी, शहद की मक्खी से तात्पयं है। घर नारी= व्याह्ता स्त्री, व्यीही हुई। सजन सहेली= स्वजन एव साथी। कूवा= कुँआ, यहाँ तात्पर्य अज्ञान का कुआ। नलिनी= पोले वैस कि नली जो तोता पकड्ने के काम में आती है। सन्दर्भ= ससार के वाहा आक्रर्पक रूप पर मोहित एव एश्वर्य मे मदमत मानव को कवीरदास सावधान करते हैं।

 भावार्थ- हे भोले मानव तू गर्व मे फूला हुआ क्यो फिर रहा है ? क्या

तू उस व्यथा को भूल गया जो तुभ्रे गर्भ द्स माह तक उलटे लटके रहने के कारण हुई थी ? जन्म के समय जितनी व्यथा हुई थी, मृत्यु के समय भी वैसी ही व्यथा होगी, यह सकेत करते हुए कबीर कहते हैं कि मरने पर तेरा शरीर जब जलाया जायगा, तब भस्म होकर समाप्त हो जाएगा और यदि जलाया नही गया, और यौं ही पडा रहा, तो उसे कीडे-मकोडे खा जाएँगे। इस शरीर की इतनी ही महिमा है जितनी महिमा पानी से भरे हुए कच्चे घडे की होती है, जो शीघ्र ही फूट जाता है। जिस प्रकार मधुमक्खी तनिक-तनिक( थोड-थोडा) करके शह्द इकट्ठा करती है, उसी प्रकार तुमने भी थोडा-थोडा करके कुछ धन संचित कर लिया है: तुम्हारे मरते ही सब लोग 'लेलो, लेलो' कहते हुए इस धन को वापस मे वौट लेंगे और तुम्हारे इस शरीर को उठाकर बाह्र्र फेंक देंगे, क्योकि प्रेत को कौन घर मे रखना चाहेगा ? भाव यह है कि तुम्हारा प्राणान्त होते ही लोग तुम्हारे इस धन को लेने की बात करने लगेंगे और तुम्हारे शरीर को प्रेत कह कर घर के बाहर तुरन्त कर देंगे। मर जाने पर विवाहिता पत्नी तो घर की देह्ली(द्वार) तक साथ देती है ओर रिश्तेदार-नातेदार एव मित्र लोग उसको घर के बाह्रर ले जाते हैं। कुदुम्ब के लोग मरघट(शमशान घाट) तक ले जाते हैं। और उसके बाद जीवात्मा अकेला रह जाता है। कबीरदास कह्ते हैं कि यह सब देखते हुए ओर जानते हुए भी हे मानव तू अपना मन राम मे क्यो नही रमाता है ? अर्थात राम-नाम का जप क्यो नही