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प्र्न्थावली ] [ ६८६

   परका जाए अथवा उसको पानी मे डुबा दिया जाए? इस पक्त्ति का अर्थ इस प्रकार भी किया जा सकता है कि उस व्यक्ति के शरीर पर किसी तीर्थ-स्थान की मिट्टी मलने से अथवा उसको तीर्थ-जल से स्नान कराने से क्या लाभ है ?ऐसे पाखण्डी एव अत्याचारी व्यक्ति को सम्बोधित करते हुए कबीर कहते हैं कि तुम्हारे वजू (जू--नमाज से पह्ले यथाविधि हाथ-पाँव और मुँह धोना) । जप मार्जन (जल छिडक कर पवित्र होना),से क्या लाभ है? तुम मसजिद मे जाकर सिर झुकाते हो,इससे क्या लाभ है? रोजा रखने, नमाज पढने, तथा हज एवं कादे जाने (तीर्थाटन) से क्या लाभ है? ब्राह्मण वर्ष की चौवीसो एकादशियो को उपवास रखता है और काजी मोहर्रम के पूरे महीने भर इमामहुसैन की शहादत के लिए शोक मनाता है । पर इनका क्या उपयोग है? रमजान के महिने को छोडकर शेष ग्यारह महीनो को अलग क्यो कर दिया? सभी महिने समान है--(सभी मे धार्मिक कृत्य करने चाहिए ।) अगर खुदा केवल मस्जिद मे ही रहता है, तो शेष समस्त संसार किसका है ? हिन्दुओ के अनुसार तीर्थो मे और मूर्तियो मे भगवान (राम ) का निवास है ।

परन्तु उसके दर्शन तो दो मे से किसी मे भी किसी ने नही किए है ।हिन्दुओ के मतानुसार पूर्व दिशा मे भगयान का निवास है । मुसलमानो की राय मे पश्चिम मे अल्लाह का निवास-स्थान है । (इस प्रकार हिन्दु और मुसलमान दोनो ही भगवान को मानो सर्वव्यापी नही मानते हैं) हे मानव, तुम अपने ह्रदय को ही ढूँढो ।वही तुमको राम और रहीम (ईश्वर और खुदा ) दोनो के दर्शन हो जाएगे । कबीर कहते हैं कि हे प्रभु। संसार के जितने भी नारी-पुरुष (नर-मादा) हैं, उन सबके भीतर तुम्हारा स्वरुप विध्यमान हैं अथवा वे सब तुमहारे ही अव्यक्त रुप के व्यक्त रुप हैं। ( मै तो राम ईश्वर और अल्लाह दोनो का ही दास हूँ । भगवान मेरे गुरु और पीर दोनों ही है।

     अलंकार-- (१) गूढोति-क्या ले    सम्पूर्ण पद ।
     विशेष--(१) बाह्माचार की निरर्थकता एव राम रहीम का प्रभेद बताकर कबीर ने हिन्दू और मुसलमानो की एकता का प्रतिपादन किया है ।
         (२)कबीर भगवान को सर्वव्यापी बताते है और इसी आधार पर प्रभु-भक्ति का निर्वाह करना चाहते है-
    सो अनन्य गति जाके मति न टरै हुनमंत ।
    मैं सेवक सचराचर रुप-स्वामि भगवंत ।
                                            (गोस्वामी तुलसीदास)
        (३) क्या ले माटी मुँह सुँ मारै-भक्त जन तीर्थ की परिक्रमा 'लेट-लेट'

कर भी लगाते हैं-इसको दडौती परिकमा कहते है । ऐसा करते हुए उनके शरीर मे जमीन की मिट्टी चिपक जाना स्वाभाविक हैं । सम्भबत,कबीर का सकेत इस ओर भी हो सकता है ।