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हिन्दू धर्म

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१. हिन्दू धर्म की सार्वभौमिकता

ऐतिहासिक युग के पूर्व के केवल तीन ही धर्म आज संसार में प्रचलित हैं-हिन्दू धर्म, पारसी धर्म और यहूदी धर्म। ये तीनों धर्म अनेकानेक प्रचण्ड आघातों के पश्चात् भी लुप्त न होकर आज भी जीवित है-यह उनकी आन्तरिक शक्ति का प्रमाण है। पर जहाँ हम यह देखते हैं कि यहूदी धर्म ईसाई धर्म को नहीं पचा सका वरन् अपने सर्व-विजयी सन्तान-ईसाई धर्म द्वारा अपने जन्मस्थान से निर्वासित कर दिया गया, और केवल मुट्ठी भर पारसी ही अपने महान् धर्म की गाथा गाने के लिये अब अवशेष है,-वहाँ भारत में एक के बाद एक अनेकों धर्म पंथों का उद्भव हुआ और वे पंथ वेदप्रणीत धर्म को जड़ से हिलाते से प्रतीत हुए, पर भयंकर भूकम्प के समय समुद्री किनारे की जलतरंगों के समान यह धर्म कुछ समय के लिये पीछे इसीलिये हट गया कि वह तत्पश्चात् इज़ार गुना अधिक बलशाली होकर सम्मुखस्य सब को डुब नेवाली बाढ़ के रूप में लौट आए और जब इन आगन्तुकों के विप्लवों का कोलाहल शान्त हो गया, तब ये सभी धर्म-सम्प्रदाय अपनी जन्म-

  • सन् १८९३ में शिकागो-धर्म-परिषद में यह निबंध पढ़ा गया था।