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चरी काट रहा था। फिर कहा कि मेरे रोने की आवाज सुनकर छोटू आ गया था। मैंने किसी को मदद के लिये आवाज नहीं दी। मैंने यह गलत बता दिया है कि मैंने छोटू को आवाज दी। खेत छोटू का ही था। मैं कपडे पहना रही थी तब छोटू आ रहा था तो मैंने उसे रूकने के लिये कहा क्योंकि मैं कपडे पहना रही थी। जब तक मैंने कपडे नहीं पहना लिये तब तक मैंने छोटू को नहीं आने दिया। छोटू ने पीडिता को बिना कपडों के नहीं देखा। मैंने अपनी पुत्री को कपडे पहनाने के बाद उसे खेत से मेड तक लाने के लिये छोटू की मदद नहीं ली और न ही किसी अन्य व्यक्ति से मदद ली। वहाँ कोई और मौजूद नहीं था। मैंने छोटू को अपने पुत्र सतेन्द्र को घर से बुलाने के लिये भेजा था। मैंने पीडिता को कपडे पहनाकर तथा खींचकर बरहा (गुल) तक लाने के बाद छोटू को सतेन्द्र को बुलाने के लिये भेजा था। मैं पीडिता को कन्धों से पकडकर, खींचकर बरहा तक लायी थी। जब मैंने चड्डी पहनाई थी तो उसकी पीठ जमीन पर थी। मैंने उसके पैर व कुल्हे उठाकर चड्डी पहनाई थी। पीडिता का कोई भी कपडा फटा हुआ नहीं था। पैजामी का नाडा खुला हुआ था, टूटा हुआ नहीं था। मैंने पीडिता को गले से लिपटा हुआ दुपट्टा निकालने के बाद उसे कपडे पहनाये थे। मैंने पीडिता के मौके पर निर्वस्त्र पाये जाने वाली बात चन्दपा थाने पर पहुंचकर पुलिस वालों को नहीं बतायी थी। मुन्नी देवी और लवकुश को मैंने उस समय उसी घटनास्थल पर देखा था और बिटोला देवी भी आ गयी थी और सोम सिंह भी आ गया था। मुझसे मुन्नी देवी ने यह नहीं कहा कि यह घास काट रही है, लडकी बरहा में पडी हुई है। मुझसे सोम सिंह ने यह नहीं पूछा कि भाभी क्या बात हो गयी है, सोम सिंह पीडिता के पास आ गया था। मेरी बेटी ने यह बात कि मेरे गले में दर्द है और मुझे प्यास लग रही है तब बतायी थी जब मैंने उसे बरहा में लाकर रख दी थी। मैंने सी0बी0आई0 विवेचक को अपने बयानों में यह बताया था कि “लवकुश एक पन्नी में पानी भरकर ले आया।” यह बात सही है कि मैंने सी0बी0आई0 को यह बयान दिया था कि मैंने वह पानी पीडिता के मुँह पर भी डाला था तथा उसके मुँह में भी डालकर उसे पिलाया था। सतेन्द्र, वरूण, पुतकन्ना, मुन्नी देवी, बिटोला देवी, सोम सिंह, लवकुश के आने के बाद आया था क्योंकि मैंने छोटू को दोबारा भेजा था तब सतेन्द्र आया था। यह सही है कि सतेन्द्र, छोटू द्वारा दोबारा बुलाये जाने के बाद अपनी मोटरसाईकिल से घटनास्थल पर आया था। मोटरसाईकिल सडक पर खडी कर सतेन्द्र बरहा तक आया था, जहॉ से सहारा लेकर पीडिता को मोटरसाईकिल तक ले गये थे, उस समय मैंने पीडिता के गले में दुपट्टा दोबारा नहीं बांधा था। मुझे नहीं पता