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52. 156 के लिखित या मौखिक कथन, जो ऐसे व्यक्ति द्वारा किये गये थे, जो मर गया है या मिल नहीं सकता है या जो साक्ष्य देने के लिये असमर्थ हो गया है या जिसकी हाजिरी इतने विलम्ब या व्यय के बिना उपाप्त नहीं की जा सकती, जितना मामले की परिस्थितियों में न्यायालय को अयुक्तियुक्त प्रतीत होता है, निम्नलिखित दशाओं में स्वयमेव सुसंगत हैं- - ( 1 ) जबकि वह मृत्यु के कारण से सम्बन्धित है जबकि वह कथन किसी व्यक्ति द्वारा अपनी मृत्यु के कारण के बारे में या उस संव्यवहार की किसी परिस्थिति के बारे में किया गया है जिसके फलस्वरूप उसकी मृत्यु हुई, तब उन मामलों में, जिनमें उस व्यक्ति की मृत्यु का कारण प्रश्नगत हो । ऐसे कथन सुसंगत हैं चाहे उस व्यक्ति को, जिसने उन्हें किया है, उस समय जब वे किये गये थे मृत्यु की प्रत्याशंका थी या नहीं और चाहे उस कार्यवाही की, जिसमें उस व्यक्ति की मृत्यु का कारण प्रश्नगत होता है, प्रकृति कैसी ही क्यों न हो। के कारण इस प्रकरण में “पीडिता” द्वारा दिये गये सभी बयान अपनी मृत्यु के बारे में और उस संव्यवहार की परिस्थिति के बारे में, जिसके परिणाम स्वरूप “पीडिता” की मृत्यु हुई है, "पीडिता' द्वारा किये गये हैं। इस प्रकरण में “पीडिता' की मृत्यु का कारण प्रश्नगत है, जिस कारण "पीडिता' के सभी बयान धारा 32 (1) दं०प्र०सं० में परिभाषित मृत्युकालीन बयान की श्रेणी में आते हैं और यह बात अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्ता एवं अभियोजन की ओर से भी बहस के समय स्वीकार की गयी है तथा अभियुक्तगण एवं अभियोजन दोनों पक्षों ने सभी विडियोज पर भी विश्वास व्यक्त किया है। यह अविवादित है कि पीडिता / मृतका एक अनुसूचित जाति की लडकी थी तथा अभियुक्तगण सवर्ण हैं। पीडिता व उसका परिवार एवं अभियुक्तगण एक ही गाँव बूलगढ़ी के निवासी हैं और निकट पडोसी हैं तथा ये सभी एक-दूसरे को भली-भाँति जानते व पहचानते हैं । पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखीय व मौखिक साक्ष्य से प्रकट है कि घटना की सर्वप्रथम तहरीर पी0डब्लू० – 1 वादी मुकदमा सतेन्द्र कुमार द्वारा थाना चन्दपा पर दी गयी, जिसके आधार पर थाना चन्दपा पर प्रथम सूचना रिपोर्ट मुकदमा अपराध संख्या 136 / 2020, अन्तर्गत धारा 307 भा०दं०सं० दर्ज हुई। उसके पश्चात् पीडिता को बागला जिला अस्पताल ले जाया गया, जहाँ से पीड़िता की गम्भीर हालत होने के कारण उसे जे०एन०एम०सी० अलीगढ रेफर किया गया ।