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र्थनुण र्दनंस्मति झऱनकौश

( अ ) २७३ अपुष्प प्रनस्पनि

 ऊपरवाले-रश-राह ८जाकेहिव१८; वनस्पतियां अत्यन्त

के सामन भी होते है ।

फ्यूकस ( 112118 ) नाम की जाति सब समुयों मैं पाई जाती है । बम्बई और कोकब म्नयुमुहे फिटारेपर पिहीकै साथ आफर निरी हुई ८८. स्मसियोंमैं यह स्तुपा पाई जाती है । सुंघमी व लाल रंषाकां साधारण मोंटी; और करीब स्वीप एक इंच चौडी गौर चिक्यों यह होती है । हरु।- पर बहुधा फौड़ेकै -सटश कुछ अंबा ऊंचा दिख-

ढाई पड़ने लगता है । रन फीड़ेमि नीचे वंपूकै "

सदृश पोली जमंहुँन होती है और उसमें उत्पादक दचिंयाँ रत्ती है । कुछ जातिर्योमैं एक ही पोली जध्दरीजमें पुरुष ओरओ जादियोंकौ फ्लून्दिमाँ होती है । कुछ जातियोंमें तो एक वनस्पति पर केवल पुरुष व एल्पर केवल खी क्षातिगी दृछिमाँ दिखआँ पड़ती हैं 1 एन पीकी जमीनयें न्द्धिपो- आदक्र पेशोके अगल जगल कुछ जर्म गापैकै सभी पेशीकै तन्तु रहते हैं । इसमें से क्व डस पोती जमीनकै मुब्रसे गुफच्चोंकै तामें नाहर निकलती हैं ।

रो, ८३४८ ( हैंप्रद्विआंथैप्रेप्राग्रा ) मूझे एते

उपयोग को होती है । त्ताधिपैरिथा ओर

३ रेंस्मादि किसी किसी की रांम्नते अत् ( छिमुँ1१पृ९ ) हुँ नामका रफ पदार्थ मिक्रणव्रगृहै । दवाइयों तथा हूँ रसायन शाखर्में इसकी षटुत आवश्यकता पडती । है । दूसरी भी फुतृ जातियाँ ओषघघमंसंयुक्त होती है । कुहुका उपस्योंश्या चीनी ओर जापानी । सोधा जाने मैं करते हैं । ( ११ ) ताप्न ब्वनप्तर्ति…( रिक्तिर्तद्रटूव्रक्विड्डीज्यब्द ) ये वनस्पतियाँ भी सनुद्रमैंमिस्नापै हैं । इनके आकार भी कई प्रकार:; होते हैं । पक वनस्पति बिलकुल सावी अर्थात् वस्तुओ को तरह पेशियों मृ की पंक्ति होती है । यह पदुधापहीकी तरह 1 चौडी किन्तु चिपटी; और इसमें कई रफ दासियाँ । निकलो मुद्दे दिखलाई पड्रत्ता है । कुछ बिलकुल । पसौफे साए। बीती हैं । धनमै डगठल बीचमे की । शिराएँ पूश्याहि सभी कुछु रस्वीहै । रन्सपं । शासियोमैं लड़के ताश कुछ तन्तु होतेहैं । वे । जमीनों पैठकर ऊपरी मागोको मज्ञन्तीसे । धफड़फरु रजतेहैं। कुछ श्यारनिनों पर चूने 'तीत्तदृ बैठ जाती है और थे मूंगेवी तरह

हैं ओर गुउछेकै खदश एक छोटे डएटखपा दिखलाई पड़तोंहैं। इसमे रंमित्रद्रुदृमृ पैसै निफलतेहैं । उसके फूटनेपर डसमेतेषदुत्तसो रंगका होता है इसलिये हस्ता स्य व्य: या रेड पेशियों बाहर निफलसौई। थे पेशियाँ उस ३ मुंधगो होता है । पेशिर्षोंपै एक या अधिक षक्त मूखा पेशोके अन्द्ररके आवरण में लिपटी ३ ढन्हों म्नफतेहैं ।

दुई रदृवीहैं । सा। वहमी आवरण फूटटादै; । अपोवासठमव उत्पादन स्तर आतिर्षोंफी ओर पेशियाँ व्रद्भगअणग होकर शिर निकलती । तरह जननपैसियंरैते होता है किन्तु र्यागसमृमन है : ग्रकृथेरुपेशी आकारुर्में खस्सी होतीहै और उत्पदृक्लतो ट्टूसरर्रेकौ अपेशपमुरुगुमिज अता डक्षमैं झाले खज्य हो तन्तु रहते हैं । ये तन्तु है 1 रेव्रफरंदृफये यल पफहीं रेतपंशौ ज्यष पराव्ररकै लाये होने हैं । प्राय पेशोमैं एक लाल ; होती है । वह गोल होती है हुँपौर ज्जमैं तन्तु सिंदू त्ठाहै । रुज फरंडड्यू है"1४ड०'1प्रा1) । नहीं होते । दृख कारण उसम सबलता नहीं गोल रहता है । प्रत्येक करंउफमें आठ रजपै- होती: जतप्रयादृके साथहींसाथ ज्जगोज्ज

शियांरदृतोहैं । उनके चारों तरफ एक पतला । रज करब: देष्टन रहताहै । पेशौके फूटनेपर वह पतला बेटन भी फटता है ओर रजपेशियाँ षाद्रर निक- लती हैं । उसके चारो तरफ लेपेशिर्षों का एक क्या समूह जमा होता है । और उनमे से उसका पकते संयोग होता है । फिर उसपर त्वत्वा आती हैं

पैशोकौ ओर जाना पड़दृग है रूश्ली होती है और उसके नीचेफा भत्मा एकाध वंतूड़े सख्या फूला हुआ रब्बा है । इसमें रजपेशी ६१८४ है मरी ८८८४ ट्वेश्लो म्भज्ञक्षदृलिये होता एँ । रेतकै समीपगै अतिदी ऊपरी भागला नुहै फटता है बोर रैड भीतर आशाएँ 1 फिरज्जमैं

है चौरपद नीये व्रलेमें भी जाती है और । काद्वार्द र्दडापैछिपौसै मृणेग पाब्धहैं है जानते फिर अवसर पाकर उससे नई पनस्पति तैग्रार एकदम क्यों बंष्णति उस्का 3१३ हाँतीपृपक्ति होती है । कुछु क्यूहुँश्या को जादिपौप्रे रब्रपेशिर्ण पहले फूड्स तन्तु मृर्ददूँब्धमृ होते जो । इन र्णन्तुओ आठ न हाँफर केत्रव्र। चार, दो था एकही स्मृती पर षटुत सौ जननपश्चिर्रे होती हैं । ३३ जनन'

है। ऐसो अवस्थामे प्रथम तो उखबै अच्छी नु पेशिर्योंसेपृसरैदृन्तुहोरौएँओरद्रनतूलंरेंदृन्तुगौ

पेशियाँ होती है किन्तु उसमें की चार छा या - से नयी षस्साति डाषध होती है 1 इस प्रकार एक

बात अष्ट हो जाती हैं और शेप माडी रहती ५ वनखदिसे दुतरीतफ स्पर्ददापौहियहैंहींदौहैं ।

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