यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

रास्ताम ) कहा गया है और इस प्रकारकी कल्पना वेद तथा बौद्ध ग्रंथोमे एव ईसाईयोकी प्राचीन धर्म पुस्तकोमे दिखाई देती है| श्रशता नामक उपकार करनेवाले देवता तथा 'दुशियारा' नामक दुष्ट देवता जिस प्रकार दाराके लेखोंमे दृष्टिगोचर होते हैं ठीक उसी प्रकार दाराकेलेखों मे उत्तर अवेस्टमे अवेस्तामें भी दिखायी गयी है| दूसरे धर्म सम्प्रदायोके विषयमें उसकी नीति भी सायरस की तरह बहुत उदार थी| सिंहासनारूढ़ होनेके पश्चात राज्यका संगठन करते समय गौतमद्वारा हस्त किये हुए अग्नि ग्रहों को इसने ठीक कराया| फिर भी दारा श्रहुमज्द देवताका अनन्य भक्त था| सारांश यह नहीं कहा जा सकता कि वह कट्टर एकेश्वर वादी था|

पहला क्जक्स्रीज- क्जक्स्रीज के धार्मिक विश्वासके विषयमे ज्ञान प्राप्त करनेके लिये मुख़्य साधन हिरोडोटस का ग्रंथ है| उसने क्जक्स्रीज के धार्मि सम्बन्ध में कहा है कि यूनानी पर चढ़ाई करनेके समय जब वह हेलेस्पॉट पहुंचा तब उसने ईलिश्रम के एथीनी देवताके समुक्ख हज़ार बैलोंका बलिदान किया क्योंकि इस समय इरानीओंमें जीवित मनुष्योंको पृथ्वीमे गाड़कर बलिदान करने की प्रथा प्रचलित थी| इस इतिहास लेखक के इस मत का कही भी उल्लेख नहीं मिलता| दूसरे ईरानी पृथ्वी को 'भुदेवता'कहकर पूजते थे| अतः उनके मतानुसार ज़िंदा आदमिओंको जमींन में गाड़ना देवता को ब्रेष्ट करने के बराबर है| इससे यह स्पष्ट है कि यह प्रातः प्रथा ईरानियो की धर्मभावनाके विरुद्ध है| इसलिये हीरोडाटस के उपयुक्त कथन पर व् विश्वास नहीं किया जा सकता| एक स्थान पर हीरोडोटसने क्जक्स्रीजकी सनाके साथ नो सफ़ेद द्वारा घोड़ों द्वारा खींचे जानेवाले जुइस देवताके रथका वर्णन किया है| वह लिखता है,कि इस रथका सारथी रथ के साथ पैदल चलता था| यह रथ सेनाके साथ साथ जाकर राजाको विज्ञान प्राप्त करनेवाले ईरानी राष्टीय देवता श्रहुमज्द के मंदिर के समान होता था|

दुसरे और तीसरे श्राट्रक्जक्स्रीज राजाओंको इतिहास केवल ए कही दृष्टी से महत्वपूर्ण है| उसमे श्रहुमज्दके अतिरिक्त मिश्र और अनहित दो नये देवताओंके नाम आते है| इस सम्बन्धमे एक बात ध्यान देने योग्य है की इतिहासवेत्ता प्लूटार्क वस्तुतः ज़रतुष्ट धर्मसे अपरिचित न था फिर भी उसने शिलालेखों में वर्णित श्राटाक्जक्स्रोज राजाओंकी उपासना के संबंधी शिलालेखोंकी लिखावट की पुष्टी की है| बड़े आश्चर्य की बात है कि इस प्राचीन राजघराने का इतिहास मद्यकालीन् ईरानी साहित्यमे बिलकुल दिखाई नहीं देता| पहले श्राट्राक्जक्स्रीज का उल्लेख पहलवी ग्रंथोमें श्रादेशिर के नाम से हुआ है और वही स्पेन्ददाद का पुत्र बोहुमंन कहा गया है| यह विचार कुछ ही विद्वानोंका है| पर उसके लिये कहीँ आधार नहीं मिलता| ज़रतुष्टी श्राट्राक्जक्स्रीज क्जक्स्रीज का पुतर् पुत्र था| श्रलवेरुनी ने इन दोनों व्यक्तियोंको भिन्न भिन्न बतलाया हे और यह ठीक भी है| शाहनामा आदि ग्रंथोमें ये दोनों व्यक्ति एक ही माने गये है| उसका कारण यही होगा की इन दोनोंके दादा का नाम दारा ही था| परंतु श्रवेस्ता और जन्द धर्म ग्रंथो की दो दो हस्तलिकित प्रतियाँ सुरकश्चित रखनेकी आज्ञा देनेवाके देनेवाले जरतुष्टा का अनुयायी दारा का पुत्र दारा और श्रकमिनियन घरानेके श्रासेंसीन का पुत्र तृतीय दारा ये दोनों व्यक्ति भिन्न थे|

उपर्युक्त जानकारिसे पता चलता है कि श्रकिमिनिश्रन राजा सूर्य चंद्र आदि इरानी देवताओंको मानते थे तथा यूनानी देवताओंको प्रति भी पूज्य भाव रखते थे| फिर भी श्रहुमज्द उनके मुख्य राष्ट्रीय देवता और सूर्य चंद्र आदि दुसरे देवता गौण थे| ध्यान में रखने की बात यह है की पुराने ईरानी लेख उन गाथाओकी अपेक्षा जिनमे जरतुष्ट के पहले की प्रकृति की उपासना की भंलक पुनः दिखायी देती है| इन सब बातोंका विचार क्र कर यहा कहना पड़ता है कि श्रत्रिमिनियांन राजा जरतुष्ट पंथके अनुयायी न थे बल्कि मज्दयस्नपंथी थे|

श्रकियनलोग और उनके संघ- युनानिया की चार शाखाओमे से एक है| एक दंत कथा प्रचलित है कि इस शाखाका आदि पुरुष श्रकियस था| कवि होमरके मतानुसार इन लोगोंकी सत्ता समस्त यूनान पर थी| इनका इनका एश्रोलियन शाखासे बहुत कुछ सम्य है|ये ऊँचे कदके थे तथा इनकी आँखों नीले रंगकी थी| ये लोग अपने को यूनानियो के इष्टदेवता जुरसके वशज मानते थे| इनके