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सी विटामीन के अमाव मेें चर्मरोग का प्रादुर्भाव होने लगता है । यह एक प्राचीन षर्मरोग है पहलेपद्द रोग शापिकौकौ अघिक हुआ करता था । आनद शरीर इसकों सछित करके पगुत ओडी देर रख पाता है क्योंकि गरमी से यह तुरत नष्ट हो जाती है । नसों कानि: एहियोंमैं भी इसके श्रभाषते मुक्तता आने रु-गत्ता है । यह फबौपै षटुत प्रभष्णर्मे पाया जस्ता है । नीकु सन्तरा, टमाटर,हरोमिर्ष,शशजमप्रल्यादि का संख्या इसके अभाव की पृर्तिके लिये बिशेष लाभप्रद हैं किन्तु उबालने, पकाने द्दत्यादिसे थे नाश हो जाते हैं । आ: उपरोक्त वस्तुओ को उनकी बैक्षर्गिकाधस्यर्बि हीं म्मधहार मैं खाना चाहिये । 'बी' विटामिन शारीरिक शफिकेसिये नितान्त अनिवार्य है । इसके अभाज्य शरीरों अनेक भयंकर रोग तफ उत्यश हो जाते हैं । सूखा रोग त्तपैदिम्ल दृहींफैरै बिमार तथा हाँच्चोंकै रोग इनमे प्रधान हैं । केवल पृसीका रासायनिक क्या मालूम होसफा है, जिसे "अर्गो-स्टेरील' कहते हैं । यद्धृनिफिपां नि" होताहै किंतुफुपृ देश सूर्यप्रफाश अथवा तीय बैगनी क्रिररोंले इसकी उस्मर्ति होती है ऐसे वपुत फम अन्न है जिनमें थगु यथेष्ट प्रमाणमैं और स्याथीरापमे पाया जाता है । इसका सबसे घनिष्ट सव्यन्ध है बूर्थकै प्रकाश से । यह कब्र पाया जाताहै नित ऐसी अनेक लिधि नंथहूँ भदृसियोंकै तेल है जिनमे यह यथेष्ट प्रमाण मैंणगाहै। वहमी शरीस्मैथयेप्ट समय क्या सचिव रहता है । सूर्य प्रकाशन ब्रप्रे बदन रहने से यह यथेष्ठ रूपसे शरीरमैं प्रदिपृ हो ज्ञाता है । 'ई' पिडामिनषाअभाप भी शरीर को शीघ्र भी खटकने रूमरा। है । सन्तामोत्पचि की शकी रखी से प्राप्त होती है । श्वकै अभाधसे गभाँग्राथापैं शिशुकाठीक ठौफपातननहीं होने पाता जिससे प्रसयकै पहले ही यद्द नाश होजाता है । यह किसी अंश तक रारीरमै समित रह सकती है है माँस महतो अणी दृत्मादि मैं तो यह यथेष्ट प्रभाणमैं होती ही है यद्भुतसे न्मिज अत्रोंमैं और विशेष कर गेहूँ में यह बहुत पायी जानी है । लेट्ठस गौमफ फल और उसकी पसीमे यह वहुत होती है । पाककिथाकहाअक्षके स्वाद: तो पपुत्त क्व प्रभाव पड़ता ही है पैअक-एधिसे भी इसके अनेक लाभ चौर जानि है । कानि तो सबसे मही यहीं है फि पकानेसे आपकी शक्ति वद्भुध फूड्स क्य हो जाती है और उपरोक्त कई प्रफारकै विटामिन ज्जमेसे नष्ट हो जारी है । किन्तु निर्मल मनुष्य को वैद्यक दधिषे रुपी चौडी हानिप्रद भी हो सकती हैं । पाककियश्ले अधके अनेक दोष नाश भी हो जाते हैं । नाना प्रकारफे रोग बाहर कृमि का नाश हो जाता है । है झुलसे अक्ष जो कावें पनना कठिन हो राहु; । उब्राखने अथवा पकाने के बाद शोप्रहीं तथा सररात्ता से पथ जाते है ।