यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

दृभोनहींशाजासप्लाश्चाफिकैयेग्रलिकसस्थ्यत्य हुँ f कृतो कौबैतिफ सभ्यताश्रेप्टहै ओर वह ऐसी ३ z न्तट्वेनोंत्पत्तिको रोकती है, क्योंफिपूर्ण धौटेलैट है can: ओर स्नाटसैडकौ अपेशा आंरिद्गया. ३ स्तनों, पवेरिया ये अधर्म सस्तति का प्रमाण पिक है I दो पिहृकृल थिष-पक क्रिश्चियन ओर है ३ सरा क्रिश्चियनेनर देसौमैं इसकी तुलना करनेपर ३ i उत तुलनासे किश्चपादेशीर्मे उससे maxi? है 3 त्मा । उदाहरणकै सिये जापान को लीजिये I E हाँ१९८२मैंफुत जनसंख्या के साथ अधर्म द्रन्ततिफाप्रमाणफी स्वार ३० था। अर्थात् ५ पैरपकै पांच राही ( तीन कैथोलिक ओर दो i पैटेरुहैंट ) कौअधर्म सन्तति का प्रमाण जापान ३ ही अपेशा अधिक था । यह ध्यागमै रखने की Ia है कि खास ग्लोएडके नाकोंफ और हिया I बेर्द परगनोंमें १८९९ खे १९०२ पानी चार वनोंभै हूँ गरज सन्तति की जो संख्या थी वहीं जापानकै हैं mat मध्यप्रासौकीथी । द्दे_ २ ) अधर्म सन्जतिकै प्रमाणों फरक डाखने पै शिक्षा भी सहायक नहीं होती । जहाँ निरक्षरता ग्रधिफहै वहाँ साक्षर जनता की अपेक्षा यह है प्रमाण अधिक नहीं दिखायी देता I फाँसमैं दिखायी देगाफि पेरिसकै अलापा जहाँ निरक्षरता हु अधिक है यहाँ अधर्म संतति का प्रमाण ब्रमुत फम है ३) फुस जनसंश्याकै साथ अधर्म संतति काप्रमाणथड़े शहरों की अपेक्षा अन्यभागौमे अधिक होना हे । उदाहरणकें सिये द्दट्ससैडकै तीन गडे शहरों ओर सीन पभखोंकै जारज़संटानोंत्पचि का श्याण प्रति दस हबार पीछे यों है… स्थान १९०१ L १९०२३११८३ 1९९०६८।1 tau: ष्ण ‘ l रै हैं s संदभ ३ ३७८ ३६१ ३६3८५ ३८ वरभिधभ ३३ j ४० ३५ फू ३९ ३ as मैंचेस्टर ‘ ८७ 1 ३२ ३२ ३३1 I ३० ज्जादृगृ i l पु ३ i मास्फोफ T ६ ६१ हूँ 7 ६४ ’ ६२ ‘ ६५ नार्पवेल्सगुदुटुकेड्डू; u ‘1: ६० त्वउकौ छोड़ कर अभ्य क्यों यह लियम विपरीत दिमागी देता है I पैरिस, धारना, मर्लिन और ग्रन्थ राजधानियों मैं उनके आसपास वाले जितोकौ अपेक्षा अधर्म-संड़श्कि। प्रमाण अधिक दिखायी देता है । पेरिस के await तो कारण हैं यह है कि वहाँ मजदूर पेशा लोग अधिक हैं ओर क्यों होनेवाले संसर्गकौ सरकार अथवा घर्भचुरीण नहीं मानते n एँ a ) गरीबी अश्या परस्पर अकास पड़नेसे हूँ अधर्म सन्ततिकै, प्रमाणमैं पढ़ती नहीं होंसफती I उत्तरी आयलैण्ड वहुत संपब्र है । फिन्तु वहाँ हु प्रतिवर्ष जारज सन्दानोत्पसिका प्रमाण दक्षिण हुँ ओर पृश्चिमकै सौर पमिमकै अकालपीडित भार्गोंसे अधिक " है दिये हुए कोष्टक से दिखायी देगा कि लंदन जैसे घडे शहरके जिस भागमै गरीब लोग रादृते हैं वहाँ यह अनीति कम दिखायी देती है । यह बात हर साल विवादी देती है लादन सहरके कुछु भागौकै आँकडों की तुलना पिस्तदेह मनोरंजक है । इस ऊँवै दएँकै सोग वेस्टरंड' मैं उक्ति गरीब लोग "र्रस्टपंउ' मैं तवे हैं नीचे फी हजार Eजारजसंटागौ' तनिका प्रमाण दिया जाना है लंदन य०१ 3 १९०२ १8०३१द्ध०४१९द्या, ईरटएंउ '८ । । दृ ३ दृटेपौ १८]ना१९११११० ड्डेषेआलाग्नि १३ 1 १२ राई ५ १४ । १३ हैं माइखरंड १५ हूँ १९ १३ ५ १६ दृ १६ (पुरामाशहरी 1 , है डादृत्रुबैपेल २२ २० '३४ ; २४ १९ वेरुटपंदृ गू राइशम्भ धुवोब्रत्सजायर ' ४० रै एर ग्रा ५ क्य ३ ण केंसिंगटन । ४८ ७९ ४४ हू की ३ ४९ फुखहैम ' ४३। भी ४२५७1 था ३ सेंटमेर्रिहैंओन १८२ । १८१ है १८५ है १८1 १ १९८ किसी सम्पूर्ण राष्ट्रपै या उसके खास आणमैं अधर्म सस्तति उत्पन्न फरनेकों प्रवृथिमें जो आदरु डे दिखायी हँसाहै उसका स्मकारण र्वशूपरंपरा. बै क्तयमांणऐ। इसकाश्या यह नहींहैफि ९ कोई अतकैमीयथफि किसी समाजहूँ४ दूरे समाजकी अपेक्षा दुराचार की और अधिक कांच 3 से जाती है । मण्डप केक्ल उतना हों है कि मित्र भिज राट्रोफौ ओर समाती को-मड मानते गुप कि क्यों शाधि एक ही ताह की होती है-म ५ बाली शक्ति का प्रभाव सबके ऊपर समान रूपसे नहीं रहता । दुराचार को रीकोंशली सबसे है प्रबल शक्ति है तोकापवान् 1 जिस साराजमे