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स ६० प्रतिशत सब और सरकारने अंदवनी ताल्लुका ज्ञानकोश ( अ ) १८८ अदवनी शहर राज्यमें यह नगर भी बड़ा उत्तम तथा दर्शनीय निर्भर रहती है। जिस साल वर्षा अच्छी नहीं होगया है । यहाँकी जनसंख्या भी उत्तरोत्तर होती उस साल बड़ा कष्ट होता है । १८७६-१८७६ वढ़ती जारही है। स०१३४ ई. में केवल ४००० ई० के भयंकर अकालमें तिहाई मनुष्य कालके मुँह के लगभग थी, किन्तु अब ५४६२३ के लगभग है। में पड़ गये। यहाँ का प्रारम्भिक इतिहास विशेष उल्लेखनीय उल्लेखनीय अदवनी शहर-इसी नामके ताल्लुकेका नहीं है। सोलहवीं शताब्दीके प्रारम्भमें यह नगर मुख्य स्थान । उत्तर अक्षांश १५.३० तथा पूर्व दे० पुर्तगीज़के हाथ पाया। किन्तु १७३० ई० से यह ७१७ में यह स्थित है। मद्राससे यह ३०७ मील नगर स्वतन्त्र होगया और लहेज़के शेखवंशीय को दरी पर है। जिले भरमें मल्लारीके बाद यही खतन्त्र मुलतान होने लगे। १८३७ ई० में एक सबसे बड़ा शहर है। जनसंख्या ( १६२१ ई.) अंग्रेज़ी जहाज़ अदनके समीप टूट कर तहस ३०२३२ थी. आधुनिक श्राबादी २६५०० नहस होगया। इसमेंके मुसाफिरोंके साथ अरब है। उनमें से ६० प्रतिशत हिन्दू थे । वालोने बड़ी क्रूरता का परिचय दिया तथा सब और ३७ प्रतिशत मुसलमान हैं। ईसाई बहुत समान लूट लिया । बम्बई सरकारने अदन वालों थोड़े हैं। अदवनी इस प्रांतमें कपासके से इस धृष्टता का उत्तर चाहा और अन्तमें यह व्यापारका मुख्य केन्द्र है। यहाँ कपासके गट्टे निश्चित हुथा कि अंग्रेजों को इसका हरजाना बाँधने के तथा बिनौला अलग करनेके अनेक कारदिया जावेगा और वह बन्दरगाह भी अंग्रेजोंके खाने हैं। इन कारखानोंमें कपासके मौसिममें हाथ बेच दिया जावेगा। किन्तु शीघ्र ही सुल्तान ७०० मनुष्योंके लगभग काम करते हैं, यहाँका के पुत्रने यह सन्धीपत्र तोड़ डाला। अन्तमें १६ | मुख्य धन्धा सूती तथा रेशमी कपड़ोंको बुननेका जनवरी १३६ ई० में बम्बई सरकार को सेना है यहाँकी दरियाँ मजबूत और पके रंगकी भजकर यह जीतनी ही पड़ा। पहले यह बम्बई होनेके कारण प्रसिद्ध हैं। इस शहरमे १८६७ ई. प्रान्तके ही श्राधीन था। किन्तु अब भारत सर- में म्यनिसिपैलिटी स्थापित हुई। १६०३-४ ई० कार ( Central Government) के आधीन | में यहाँपर ५६५००) आमदनी तथा ५००००) खर्च होगया है। यहाँके सैनिक तथा शासन प्रबन्धके था। पानीके लिये एक तालाब बना हुआ है लिये भारत सरकारको बहुत व्यय करना पड़ता जिसमें ४५०००० घन फुट पानी आजाता है और है और यह प्रश्न असेम्बली ( Assembly ) में भी उससे सिचाँईमें बड़ी सहायता मिलती है।। कई बार उठ चुका है। इतिहास-यहाँका किला गिरि शिखर पर अदरक-देखिये बाईक निर्मित है। यह किला अपनी दृढ़ताके लिये अदवनी ताल्लुका-मद्रासके बेलारी जिले प्रसिद्ध है। कृष्णा तथा तुंगभद्राके बीच की उपके उत्तर की ओर का यह एक ताल्लुका जाऊ भूमिका यह मुख्य स्थान होनेके कारण है। पहले यह निज़ामके राज्यके अन्र्तगत था। दक्षिण हिन्दोस्तानमें होनेवाली लड़ाइयों में इस यह उत्तर अ०१५३० तथा १५४८ और पू० दे० किलेसे बड़ी सहायता मिलती थी। चौदहवीं ७६५६ से ७७°३८ के बीचमें स्थित है। इसका | शताब्दीमें विजयनगरके राजाके आधीन यह गढ़ क्षेत्रफल ३६ वर्गमील है। जनसंख्या लगभग था। इसे लोग अभेद्य समझते थे। १५६८ ई. तक १ लाख ८० हजार है। इसमें तीन नगर तथा अँग्रेजों के अधिकारमें आनेके पहिले वह मुसलमानों १६१ छोटे छोटे गाँव है। के हाथमे रहा । १६०४ ई० से १६३१ ई. तक यहाँ इसका मुख्य स्थान अद्वानी शहर है उसकी बीजापूरका सरदार मलिक रहमानखाँ किलेदार आधुनिक जनसंख्या लगभग २६५०० है। दूसरा था। १६८६ ई० में जब औरङ्गज़ब दक्षिण जीतने नगर योमिगनूर है। वहाँ की जनसंख्या १४००० के लिये आया तो उसने यह किला जीत लिया। है। कोसिज की 2००० है। यह प्रदेश बिल्कुल १७५४ ई० के लगभग मुसाबुसी द्वारा फ्रांससियो चौरस है और मट्टी यहाँ की काली है। अतः को इस किले पर अधिकार मिला होगा। क्यों कपास को उपज यहाँ मुख्य है। कहीं कहीं पर कि मुसाबुसीकी इच्छानुसार शहबाजखाँने टीले देख पड़ते हैं। यहाँ की मुख्य पैदावार कपास ख्वाजा नयादुल्लाको अदवनीके मामलेका निपके अतिरिक्त चोलम तथा कोरा ( Cholam & टारा करनेके लिये नियुक्त किया था। (पत्र ताः Korra) है। कर यहाँ १४ श्राने प्रति एकड़ ५-१-१७५४ रा० ख० १०२२५६ ) । १७५६६० म लगता है। सारी फसलें बरसात के पानी पर ही निजामने अपने सम्बन्धी वसालतजङ्ग की यह