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इसके भूरे होते हैं और गरम जल में सरलता से घुल जाते हैं। इससे सुन पर गहरा रङग चढाया जाता है, किन्तु रंगने के पहले सूत पर रङग पकडने के लिये किसी रस्नयन का प्रयोग कर लेना चहिये।

 मेथिल आरेज में ही गोल्डआरेञ्ज, मन्दारिन ऑरेज्ज अथवा आरेखन०३ इत्यादि आ जाते हैं। यह परा दिव मेथिल अमीन बेनजीन अजोबेनजीन तथा गन्धविकास का सिन्धु क्षार है। 

इसका सूत्र (क उ ३) २ न्ं, क उ ४ न २ क ६ उ ग प्र ३ धु है। यह नरङग रङग होना अस्र्के साथ क्षार भी होना सूचित करता है। उदारास्र युक्त द्र्व में वंगस हरिद के साथ लधविकरण किया करने से गन्धकिक अनिलिनास्र और पंग अमीन दिव मेथिल अनिलिन पृथक पृथक हो जाते है। इससे मेथिल आरेञ्ज के विषय में बहुत कुछ स्पषट हो जावेगा । प्रण अँजो यौगिक यह तय्यार करने के लिये भानल क्षार तथा ठराडे द्र्व में दिव अजोनियम के क्षार का द्र्व मिलाना चहिये। मेथिल अरेज में ही गोल्डआरेञ्ज, मन्दारिन ऑरेज अथवा अरेज न०३ इत्यादि आ जाते हैं। यह परा दिव मेथिल अमीन बेनजीन अजोबेनजीन तथा गन्धविकास का सिन्दु क्षार है। इसका सूत्र (क उ ३)२ नं, क उ ४ न २ क ६ उ ग प्र ३ धु है। यह नरङगी रङग की रवेदार बुकनी होती है। पानी में यह घुल जाती है। उसके अतिरिक्त और कुछ न होने से वह लाल रङग की होती है। नरङगी रङग होना उसके साथ क्षार भी होना सूचित करता है। उदारास युक्त द्र्वमें वंगस हरिद के साथ लघवीकरण किया करने से गन्धकिक अनिलिनास्र और पॅग अमीन दिव मेथिल अनिलिन पृथक हो जाते है़न । इससे मेथिल आरेञ्ज के विषय में बहुत कुछ स्पषट हो जावेगा। पॅग प्राण अॅजो वेनजीन अथवा बेनजीन अॅजो भानल (क ६ उ ५ न: क ६ उ ४ प्र ३) तय्यार करने के लिये दिव अॅजो टाइजड अनिलिन का संयोग क्षारद्रव के भानल से करना आवशक है। यह नरङगी तथा लाल वर्ग के मगिभ के आकार का होता है। इसका द्र्वणक १५४ है। आसन्न प्रण अजो बेनजीन का किसी अन्य पदार्थ में रुपान्तर करने से वह उसके सहितअल्पांश प्रमाण में होता है। अत: उसको बाप्पॉद्रेकसे नीचे लाना चाहिये। यह आस्न्न पदार्थ बाप्पॉद्रेके साथ आता है। इस पदार्थ के मणिम नरङगी रङगी होते हैं। पतले हरिद अमीन के द्र्व में इसका यशद चूणे के साथ लघवीकरण से आसन्न अमीन्भानल अौर अनिलिन तय्यार हो जाता है। मित प्राण अॅजो बेनजीन (क ६ उ ५ न: न(१) क ६ उ ४ (प्र उ) ३) आसन्न सालेयिदीन और दिव अँजो-बेनजीन के गाढी-करना के तय्यार होता है उसका दिव अँजोटाइजिड अलकोहल से लघवीकरण करने से बेनजीन अजो अनिसोल तय्यार होता है। अल्युमिनियम कोराइड के साथ इस पदर्थ पर गसायनिक किया करने से मित प्राण से अॅजोबेनजीन तय्यार होता है। इसका द्रवाण ११२ से ११४ तक है इसके लघवीकरण की किय सरल ही है अौर नाज्जातीय उदजीव यौगिक तय्यार होता है। दिव अजो-अमीन इसका सूत्र श न:नउ श १ (श=मूलक) है। इसको निम्नलिखित प्रकार से तय्यार किया जा सकता है(१)आधय अमीन के किया दिव अजोनियम क्षार पर कग्ने से,(२) असंयुक्त आधय अमीन पर नत्रास्मकी क्रिया करने से ये मणिभ जमे हुए पीनवर्ण के होते हैं। अमीन अजो-योगिक में इनका रुपान्तर शीर्घ ही होता है। गाढे तैलादि उपधत उसके जोगसे इसका प्रथकरण हो जाता है अ‍‍‌ौर बेनजिन हलाइडस नत्र अ‍‍‌ौर अमीन अलग अलग हो जाता है। दिव अजो-अमीन(क ६ उ ५ न: न(१) क ६ उ ५) यह पदार्थ पहले पहल पी० ग्रीसने निकाला था। इथर अ‍‍‌ौर बेनजीन अल्कहल में सहज ही घुल जाते हैं। दिव अजो-अमीन पॅर-ब्रोमाड पर अस्मवायू को क्रिया का प्र्योग करने से दिव अजो-अमीन-बेनजीन (क ६ ३ ५ न उ) तय्यार हो जाता है। यह पोतवर्ण का तेलके समान रहता है। इसका कथनाड्ग ५६ होता है इसको सूघने से अचेतन