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है उत्क्ट समय। इसका अर्थ है निक्र काल जैनियों का कथन है कि दुसरे काल के पाँचवें हिस्से में इनका जन्म हुआ था। इनके तीर्थड्कर होने के पहले के जन्मके विषयमें वह इस भाति व्य‍‍ौरा देते हैं इसका नाम वैजयन्त था, और दुसरा अनुत्तर विमान था। इसकी जन्म नगरी अयोधया थी़। इसके पिता जियशत्रु और माता विजयसेना देवी थी। शरीर ४५० धनुष और सुवर्ण के समान वर्ण था। आयु इसकी ७२ लाख थी। पूर्व दीक्षास्थान सत्पच्छद व्रक्ष निर्व्वाण आसन खड्गासन। इसके बाद ३० लाख करोड सागार संवत में शंभवनाथ का जन्म् हुआ। यह घात निश्चित करने की है कि सब सद्धर्मालंकार में उल्लिखत आजितकेश कम्बल महावीर पूर्वी और अजित एक ही है अथवा नहीं। अजीम बंगाल प्रान्तके जिला मुर्शिदाबाद में गंगाके दक्षिण तट पर यह गाँव बसा हुआ है। दुसरे तीर पर बसे हुए जियागज्ज और इसकी कुल मिलाकर जनसंखया लगभग तेरह च‍ौदह हजार है। नलहटी से इस स्थान तक एक रेलवे लाईन है। व्यापार यहाँ सारण होता है। अजीमपुरसे बुरहानपरके लिये छोटी छोटी नावे चलती हैं। १९३४ ई० में यहाँ की म्युनिसिपैल्टी की आय थी। अब तो यह बढ गई है। अजोटस-ग्रीक और रोमन ले काने पलेस्टाइनके अशदाद नामक प्राचीन नगर की हीअजोटस का नाम दिया एेतिहासकोंका विचार है कि आधुनिक एकर नगर के अशदादमें जो टुटी फूटी इमारतें पाई जाती है वे अजोटसकी ही है। एकर उत्तर अक्षांश ३३ २० और पूर्व देशान्तर ३० पर है। सीरिया सैनिक-मार्ग पर और भूमधय सागर से ३ मील पर यह नगर बसा हुआ था पॅलेस्ट पाँच सिद्ध नगर में से यह भी एक था। इसगइल सत्ताका निरन्तर प्रतिलित थी। सन १२० ई० पू० में अॅसिरियन लोगों ने यह नगर जीत लिया। परन्तु शीर्घ ही यह स्व्तन्त्र हो गया और अगली शताब्दी में यह सेमेकटिक राजासे लोहा लेता रहा। ईसा स्म्बतके आरम्भमें यहाँ एक विश्ष नियत किया गया किन्तु इसका विश्ष फल न हुआ। अशदाद में सॅगसन खान पद्धति पर बनी हुई खान नमक इमागत का आवशेष अब पाया जाता है। अजोयौगिक(Azo-compound) आजकल जो विदेशोसे क्रत्रिम गड्ग आते है, वे प्राय: इसी वर्गके हैं। इन्हें अंग्रेजीमें अजोडाई कहते हैं। ये सब न्ड्ग गड्ग विरमार्क बाउन, फेनिलिन बाउन, मैनचेरर बाउन इत्यादि भूरे या हलके बादामी गड्ग तथा आॅगेख नम्बर तीन हैं। इनमें से कुछ लाल और पीले गड्ग आते हैं। कार्यनिक रसायन शास्त्र में अजोयौगिकसे तात्पर्य है श,न:न श। इस सूत्र में श= अटिल मूलक अथवा सुग्मिल मूलक। कदाचित्त अगिल शब्द संस्क्रत भाषाके ऋ धातुसे बना होगा जिसका अर्थ ओजस्विन होना है। कुछ कुछ अर्थ-साम्य होने से कदाचित इस शद्धका उपयोग किया गया होगा। नाइर्टो कम्पाउराड के लघविकरण क्रिया ही अम्लो की उपरिनसे इस जातिके अमिन पदार्थ तय्यार होते हैं। क्षागिय पदार्थोँमें लघविकरण किया द्वारा अजोयौगिक तैय्यार होता है। इसके लिये जस्ता और क्षारका उपयोग किया जाता है। इसका मुय कारण यह है कि अजोयौगिकके दिव बन्धित नत्र परमाणु बेनजीन केन्द्रकसे आसत्क रहते हैं। रंगों में जो अजोके रंग के नामसे प्रसिद्ध हैं उनका इसी वर्गमें समावेश होता है।