पृष्ठ:Garcin de Tassy - Chrestomathie hindi.djvu/३६

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॥२०॥ का जे सु कोन धर्म है और जे पीछे कार्य नसावे मुष उपरि सुलावति कहे ऐसे म्यंत्र सर्वथा न करिये जैसे भितरि विष उपरि दुध करि भयो घट न छूयर ओर दुर्जन होइ प्रिय बचन कहे ता की प्रतीति न कस्सेि वा की जीभ में अंग्रत पेट में बिषु भयो है। और जो उपगार लोई प्रतीति को सुधो होई ऐसे सो जो कपट करे तिन्ह कों हे प्रीथि माता तूम्ह केसे धारत है। अथवा ईल दुष्ट को यह सुभाव जुष हि ले पाईन परे पीछे पटकिके मांस पाई अरु कान में मीठी बात कहे श्रोसर पाइ रगो देई जैसे समा बोलत हि कान में पेसि जाई। और काग कन्तु है मग सौ म्यंत्र इह सात मेरे मन मे साल हे सुनो। काग कमितु है। र सात साल के कोण कोण दिन में फीको चंद्रमा जोबन के बीते स्त्री सकाम होई कमल बिन सरोवर सुंदर मुष विद्या करि हीण ठाकुर लोई लोभ करें अरु साधू जन दुषी राजा निकट दुष्ट मंत्रि स्हे ए सात परमं साल है। इस विचार करत ही है। यह बीचि षेत को रखवालो लाठी लीये श्रावत कांग हि देष्यो। देषिकरि प्रग सों यह कही। म्यंत्र प्रग तू प्रतिग सो परि रहो जब हुँ बोलों तब तूम ऊठि भाजियो। ईंह कहि काग रुंष परि बेठ्यो र ते षवारो आई पहुंच्यो देषि सुंष पायो जु अग तो बांध्यो। तब प्रग देषिकरि षवारो कहन लाग्यो। ईद आप ही मरि त्यो। तब बंधूक ईद जांनि बंधन छोयो। बंधन छोडि जाल सकेलन लाग्यो। इहि बिचि काग सबद कीयो। काग को सबद सुनि प्रग ऊठि भाज्यो। तब भाजते षवारे लाठी मेली सु वह लाठी स्याल के जाई लागो लागत प्रमाण स्याल मूवो॥