पृष्ठ:Garcin de Tassy - Chrestomathie hindi.djvu/१२२

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॥१०॥ चौपई। जाके बाजे बाज पुनि दीने। करलिं साज पुनि माग्या लीने॥ चले न्याय सिर सेनापती। बने असुर माथे चहि रती॥ चल्या कटक नृप को सिर नाई। श्राग चला न पाव पराई। उठि देषी तुम कटक संवारा। सजें कटक घोरा हथियारा ॥ असी सल्स बाजे तहां बाजें। हाथी कोटि तेतीसों गाजें ॥ येक अर्ब तहां सूर सुजाना। दल अंभन को परे सधाना॥ सैन नरेस लछ परवाना। पायक अर्ब तहा सूर सुजाना॥ अति प्रबीन राजा स्तिकारी। कटक प्रबल जहां जुरे अपारी ॥ आस पास सब सेंन संवारी। सन बालु की सेन लंकारी ॥ तब निजु टूत नगर मे गये। राजद्वार जा ठाठे भये॥ नमसकार कियो प्रतिहारे। गयो जहां बैठो है राई । दोला। करि जुहार ठाडो भयो बानासुर कहि बात। कॉन काज आये यहां मै कहो कुसलात ॥ चोपई। कले टूत सुनो मो पासी। लौ पठयो जादौं अबिनासी ॥ द्वारावती जदुनाथ मुरारी। प्राय परे लीला श्रोतारी॥ समुद तीर द्वारिका नाउं। दक्षिन देस कनकपुर गांउं॥ सल्स येकादस जोजन पाही। मन जन देषे पावे थाही ॥ कृष्ण पुत्र प्रदोंन कुंवारू। तिन के येक अनुरुद्ध अवतारू । उंची अटा कुंवर पोहाये। लेइ गयो कोई टूत चुराये ॥