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खान साहब डाक्टर
 


आप सच्चे मुसलमान हैं--सहिष्णु,


उदार, सहृदय। आचारिक मर्यादा-पालन को ही आप धर्म नहीं मानते, बल्कि दैनिक जीवन में पवित्र आचरण को धार्मिक-कसौटी मानते हैं। ९ अगस्त १९४२ से, ‘भारत छोडो' प्रस्ताव के बाद देश में जो उपद्रव हुए हैं, आपके सीमा-प्रान्त मे शान्ति रही और बावजूद देशव्यापी दमन के कांग्रेस इस प्रान्त में गैर-क़ानूनी क़रार नही दी गई, अगरचे स्कूलों आदि पर धरने के कारण गिरफ्तारियाँ हुई।


खान साहब, डाक्टर--खा़न अब्दुल गफ्फार खाॅ के बड़े भाई तथा सीमा-प्रान्त के काग्रेस-नेता। जन्म १८८३ ई०। मैट्रिक पास कर विलायत गये। लन्दन से एम० आर० सी०


ए० की डिग्री ली। आई० एम० एस० में शामिल हुए। गत युद्ध के बाद फ्रान्स में तैनाती हुई। १९२० में देश लौटे, राष्ट्रोद्धार मे छोटे भाई के सहयोगी बने। आप इण्डियन मेडिकल सर्विस (I M S) के सदस्य हैं। सन् १९३७ में सीमा- प्रान्त की सरकार के प्रधान मन्त्री नियुक्त किये गये तथा अक्टूबर १९३९ में तमाम कांग्रेसी सरकारों के साथ, आपके मंत्रि-मण्डल ने त्याग-पत्र दे दिया। सन् १९४० के युद्ध-विरोधी सत्याग्रह में गिरफ्तार किये गये।