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मुसलिम कान्फरेन्स त्यायन, अशोक मेहता, पार० डी० भारद्वाज आदि प्रमुख हैं | मजलिसे-अहरारुल-इसलाम-भारत के आज़ादी-पसन्द मुसलमानो की संस्था, (अहरार-स्वाधीनता का सिपाही) । इसलाम मानवीय स्वाधीनता का प्रबल प्रचारक और पोषक है । यह संस्था भारतीय मुसलमानो मे इसी विचारधारा के पोषण के लिये स्थापित हुई । इसकी प्रथम स्थापना पजाब में हुई, जिसका प्रभाव और सगठन भारत-व्यापी है। अहरारी मुसलमान भार- तीय मुसलिम लीग को अपनी प्रतिनिधिक सस्था और मि० जिन्ना को भारतीय मुसलिमो का अगुश्रा स्वीकार नहीं करते । 'पाकिस्तान' की वर्तमान योजना के भी वह प्रतिकूल हैं । 'पाकिस्तान' से पूर्व वह हिन्दुस्तान की आज़ादी पर ज़ोर देते हैं। सन् १९३५-४० के बीच इस संस्था के अनुयायी हज़ारो मुसलमान- कार्यकर्त्ता देश-सेवा मे अग्रसर रहे हैं । 'अहरार' नामक उदू दैनिक पत्र भी इस संस्था के सदर मुकाम दिल्ली से प्रकाशित होता रहा है। माल्टा द्वीप-यह भूमध्यसागर मे, इटली के निकट, दक्षिण मे एक द्वीप है जो ब्रिटेन के अधिकार मे है । इसके उत्तर मे सिसिली ६० मील की दूरी पर और दक्षिण मे २१० मील की दूरी पर त्रिपोली है। माल्टा पर युद्ध के प्रारम्भ से ही बराबर हवाई हमले होते रहे हैं । अबतक १२०० से भी अधिक बार माल्टा पर शत्रु-विमानो ने हमले किए हैं। माल्टा में ब्रिटिश-सेना :का सुदृढ़ नौ-सेना का अड्डा है। साथ ही बरतानिया के हवाई अड्डो का ऐसा सुव्यवस्थित जाल माल्टा की भूमि पर बिछा हुअा है, जहाँ प्रतिक्षण वायुयान शत्रु-यानों का सामना करने को तय्यार रहते हैं । अब तक १००० से अधिक शत्रु-यान यहाँ गिराये जाचुके हैं । यही कारण है कि शहर की बरबादी के सिवा माल्टा पर शत्रु को तत्त्वपूर्ण सफलता नहीं मिली है । माल्टा द्वीप १७॥ मील लम्बा और १३ मील चौड़ा है । बरतानवी साम्राज्य के सरक्षण की दृष्टि से भूमध्य- सागर मे माल्टा महत्त्वपूर्ण सामरिक मोर्चा है। मुसलिम कान्फरेन्स-सन् १६२८-३० मे मुसमिम लीग में दा दल होने पर मियाँ सर मुहम्मद शफ़ी मरहूम ग्रादि ने पजाब मे अपनी लीग अलग कायम की । लीग की दूसरी शाखा अन्य मुसलिम नेताअो के हाथ में थी, जिसमें मि० जिन्ना का नगण्य स्थान था। लीग में इस प्रकार विग्रह पढ़ जाने