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४१६ स्लोवेनीज़ लेण्ड, हंगरी और जर्मनी के समाजवादी मजदूर दल सोशल डेमोक्रेटन कहलाते हैं । जर्मनी मे, नात्सीवाद के उदय के ममय से, यह दल गैर-कानूनी करार दे दिया गया है। स्कोदा कारखाना-वद बोहेमिया मे, पिलसेन नामक स्थान पर. अन्नशस्त्र बनाने और लोहे की ढलाई करने वाले बटे कारलानो का विशाल समूह है । युद्ध का सामान बनाने वाले यह ससार के बडे कारखानों में से है। लडाई से पूर्व इसमे २२,००० मजदूर काम करते थे। फ्रान्सीसी कम्पनी-ममूह श्नीदर-क्रूसत का यह कारनाना चैकोल्लोवाकिया पर जर्मन-याविपत्य स्थापित होने के बाद जर्मनी के अधिकार में चला गया है ।। स्लोवाक-यह जाति स्लाव कौम के अन्तर्गत है, जो चैक-जाति ते बहुत मिलती-जुलती है । स्लोवाक लोग सदियों तक हगरी के तावे रहे और पिछले युद्ध के फलस्वरूप, १६१८ मे, चेकोस्लोवाकिया के निर्माण के समय, इन का उद्वार हुा । २० साल तक स्लोवाक चैको के साथ एक राज्य में रहते रहे, किन्तु उसके बाद वह अपनी राजनीतिक स्वाधीनता अलग मॉगने लगे, जो म्युनिख समझौते के अनुसार, अक्टूबर १६३८ मे, चेकोस्लोवाकिया का पुनसंगठन होते समय, उनको मिल गई और नात्सी-ढंग की डिक्टेटरशाही वहाँ कायम हुई। १० मार्च १६३६ को स्लोवाक राजधानी, बातीस्लावा, मे जमनी के नास्तियों ने विद्रोह करा दिया और स्लोवाक पूर्ण-स्वतन्त्रता की घोषणा कर दी गई, तब से स्लोवाकिया में, जर्मन-संरक्षण मे, एक कठपुतली सरकार कायम है । जर्मन फौजे वहाँ काबिज हैं और स्लोवाक लोगो को, जर्मनी के पक्ष में, पोलेण्ड और रूस से लडना पडा है । प्रवासी स्लोवाक चैको से मिलकर मित्रराष्ट्रो की सहायता कर रहे हैं और वह लन्दन-प्रवासी डाक्टर बेनेश की अस्थायी चेकोस्लोवाकी सरकार के सचालन में भाग ले रहे हैं। स्लोवेनीज-दक्षिणी स्लाव जन-समूह जो आल्प्स पर्वत के दक्षिण-पूर्व भाग मे बसा हुआ है, इनकी संख्या दस लाख, रोमन कैथलिक ईसाई । सदियों तक यह जाति आस्ट्रिया के अधीन रही है। पिछले महायुद्ध के बाद यह लोग यूगोस्लावी राज्य के अन्तर्गत सर्बिया, क्रोशिया तथा अन्य दक्षिणी स्लाव देशों के साथ मिला दिये गये और इनके प्रदेश का नाम स्लोवेनिया रख